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पांच करोड़ का भवन, चलता है सिर्फ ओपीडी

स्थापना के सात साल के बाद भी नहीं हो सका है एनेस्थेसिया के डॉक्टर का पदस्स्थापन अजय कुमार मसौढ़ी : लंबी प्रतीक्षा के बाद मसौढ़ी अनुमंडल को एक अनुमंडलीय अस्पताल तो मिला, लेकिन इसके उद्घाटन के करीब सात साल बाद भी मरीजों की संख्या के ख्याल से इसकी हालत मसौढ़ी पीएचसी से भी बदतर है़ […]

स्थापना के सात साल के बाद भी नहीं हो सका है एनेस्थेसिया के डॉक्टर का पदस्स्थापन
अजय कुमार
मसौढ़ी : लंबी प्रतीक्षा के बाद मसौढ़ी अनुमंडल को एक अनुमंडलीय अस्पताल तो मिला, लेकिन इसके उद्घाटन के करीब सात साल बाद भी मरीजों की संख्या के ख्याल से इसकी हालत मसौढ़ी पीएचसी से भी बदतर है़
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि इतने सालों के बाद भी इस अस्पताल में अब भी एनेस्थेसिया के चिकित्सक का पदस्थापन नहीं हो सका है ़ नतीजतन यहां आज भी बड़ा आॅपरेशन नहीं हो पाता है़ गौरतलब है कि करीब पांच करोड़ की लागत से अनुमंडलीय अस्पताल का निर्माण हुआ था और उस समय यह चर्चा थी कि यह अस्पताल अपने निर्माण के बाद मिनी पीएमसीएच का स्वरूप ग्रहण करेगा, लेकिन लंबी अवधि बीत जाने व अस्पताल में 11 चिकित्सकों का पदस्थापन होने के बावजूद आज भी यहां केवल ओपीडी का ही संचालन हो पा रहा है़. इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि बीते 21 सितंबर से संचालित परिवार कल्याण पखवारा के तहत अब तक केवल 25 महिलाओं का ही बंध्याकरण हो पाया है, जबकि मसौढ़ी पीएचसी में 119 महिलाओं का बंध्याकरण हो चुका है.
हालांकि, अनुमंडलीय अस्पताल में ही पदस्थापित चिकित्सकों को मसौढ़ी और धनरूआ पीएचसी में बंध्याकरण के लिए भेजा जाता है बताया जाता है कि अनुमंडलीय अस्पताल की आउट सोर्सिंग पर हर माह लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं
अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक डाॅ हरश्चिंद्र हरि बताते हैं कि अनुमंडलीय अस्पताल की दूरी मुख्य शहर से अपेक्षाकृत अधिक है, जबकि मसौढ़ी पीएचसी पुराना है और बीच शहर में स्थित है
उनका मानना है कि जिस अनुमंडल क्षेत्र में अनुमंडलीय अस्पताल होता है, वहां पीएचसी खत्म कर दिया जाता है , जबकि मसौढ़ी में अब तक दोनों अस्तित्व में हैं. अस्पताल में एनेस्थेसिया का डॉक्टर के नहीं होने से ऑपरेशन नहीं हो पा रहा है और ऑपरेशन के सारे आवश्यक उपकरण जंग खा रहे हैं इनके बेहतर रखरखाव की आवश्यकता है.

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