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फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट पर बन गये ट्रेंड टीचर

पटना : फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट लेकर बीएड की डिग्री ली. फिर स्कूल में ही टीचर के पद पर कार्यरत हुए. इसके बाद महज पांच सालों में ही ये टीचर ट्रेंड की केटेगरी में भी आ गये. ये ट्रेंड टीचर सीबीएसइ के कई स्कूलों में इन दिनों सीनियर टीचर के रूप में कार्यरत हैं. विजिलेंस डिपार्टमेंट […]

पटना : फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट लेकर बीएड की डिग्री ली. फिर स्कूल में ही टीचर के पद पर कार्यरत हुए. इसके बाद महज पांच सालों में ही ये टीचर ट्रेंड की केटेगरी में भी आ गये. ये ट्रेंड टीचर सीबीएसइ के कई स्कूलों में इन दिनों सीनियर टीचर के रूप में कार्यरत हैं. विजिलेंस डिपार्टमेंट के अनुसार ऐसे टीचरों की संख्या सैकड़ों में हैं. इसका असर एकेडमिक पर भी देखने को मिल रहा है.
मूल्यांकन पर पड़ता है असर : सीबीएसइ की 10वीं और 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में ट्रेंड टीचर्स को ही लगाया जाता है. फर्जी सर्टिफिकेट पर कार्यरत टीचरों द्वारा मूल्यांकन किये जाने से सीबीएसइ को कई स्तर पर गड़बड़ी मिली है. इसका स्टूडेंट्स के मार्क्स पर भी असर पड़ता है. कई बार तो छात्र कम मार्क्स देने का आरोप लगा कर हंगामा भी करते हैं. डीएवी टीचर्स एसोसिएशन के महासचिव निखिल कुमार ने बताया कि कई सालों से डीएवी के साथ कई स्कूलों में फर्जी एक्सपीरियेंस सर्टिफिकेट पर टीचर्स को फिक्स स्कूल में नियुक्त किया जा रहा है. सर्टिफिकेट देनेवाले प्राचार्य को क्षेत्रीय निदेशक बना दिया गया है. ऐसे में क्षेत्रीय निदेशक के रूप में यह सर्टिफिकेट देना और आसान हो जाता है.
साढ़े तीन साल के बाद भी कार्रवाई नहीं
सीबीएसइ विजिलेंस डिपार्टमेंट के पास 7 फरवरी, 2012 को मामला आया. इसके बाद विभाग की ओर से डीएवी प्रबंधन को मामले की जानकारी दी गयी. तीन साल से अधिक हो जाने के बाद भी अब तक डीएवी प्रबंधन की ओर से संबंधित स्कूलों के प्रिंसिपल पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

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