पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व उपमुख्यमंत्री ने रविवार को हो रही स्वाभिमान रैली पर हमला बोलते हुए कहा है कि बिहार के मान-सम्मान और स्वाभिमान को मिट्टी में मिलानेवालों से हाथ मिलाकर नीतीश कुमार स्वाभिमान रैली कर रहे हैं. सत्ता बचाने के लिए वे उस लालू प्रसाद के पैर पर गिरे, जिनके 15 साल के राज में लाखों बिहारियों को स्वाभिमान गवांकर मजबूरी में दूसरे राज्यों में जाकर मेहनत-मजदूरी करनी पड़ी.
नीतीश कुमार ने उस कांग्रेस से मिलकर भी बिहार को अपमानित किया, जिसके राज में 1000 लोगों की जान लेने वाला भागलपुर दंगा हुआ था. बिहार को नरसंहारों, दंगों और गरीबों के महापलायन से अपमानित करने वालों का समर्थन लेकर नीतीश कुमार ने अवसरवादिता की पराकाष्ठा कर दी है. वे बताएं कि जिनके चलते बिहारी कहलाना शर्म की बात हो गयी थी,
उन्हीं लोगों से मिलकर प्रदेश के स्वाभिमान की रक्षा कैसे हो सकती है़. जिस लालू प्रसाद के राज में रंगदारी,अपहरण और हत्या के डर से 10 हजार व्यापारियों को स्वाभिमान बचाने के लिए बिहार छोड़ना पड़ा, उन्हीं की लाठी में सत्ता का तेल पिला कर बिहारी स्वाभिमान बचाने की बात करना क्या जनता को धोखा देना नहीं है. क्या नीतीश कुमार दूध की रखवाली बिल्ली के हवाले करना चाहते हैं. लालू प्रसाद के समर्थन से सरकार तो बचायी जा सकती है, लेकिन बिहार का स्वाभिमान नहीं बचाया जा सकता. कानून को अपनी लाठी से हांकने वालों की गोद में बैठ कर नीतीश कुमार कानून का राज भी कायम नहीं रख सके, स्वाभिमान की रक्षा तो बहुत दूर की बात है.
मुख्यमंत्री बताएं कि ईमानदार अफसरों को कानून का राज कायम करने की कीमत क्यों चुकानी पड़ रही है. लालू प्रसाद और कांग्रेस के दबाव में पटना के एसएसपी विकास वैभव को अपमानित कर देर रात उनका तबादला किया गया. एसएसपी को राजद के बिहार बंद के दौरान लालू प्रसाद सहित 22 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज कराने, सत्तारूढ़ दल की अवैध होर्डिंग हटवाने और पुलिस के काम में हस्तक्षेप करने वाले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ स्टेशन डायरी दर्ज कराने की सजा दी गयी.नीतीश कुमार बताएं कि प्रशासन का मनोबल गिरा कर वे बिहार का स्वाभिमान कैसे बचायेंगे.