पटना: विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार का रिपोर्ट कार्ड पेश करने की बात कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि इसमें पिछले दो सालों ठप विकास और बेलगाम अपराध की रिपोर्ट भी जरूर होगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने बिहार की जनता से जो वादे किये, उससे ठीक उलटा किया. उन्होंने कहा कि बिहार में राजद का दौर कभी नहीं लौटने देने का वादा किया, लेकिन राजद से गंठबंधन कर लिया.
गांव-गांव, घर-घर बिजली नहीं तो वोट नहीं मांगने का वादा किया, लेकिन बिना बिजली पहुंचे वोट के लिए घर-घर दस्तक दे रहे हैं. कानून राज कायम करने का वादा किया, लेकिन बिहार को अपराधियों के हवाले कर दिया, दो सालों के भीतर अपराध 40 फीसदी बढ़ गये. विकास का वादा किया, लेकिन भाजपा से अलग होने के दो सालों के भीतर विकास दर गिर गयी. युवाओं से रोजगार का वादा किया, लेकिन एक भी निवेश नहीं हुआ, उद्योग नहीं शुरू हुआ. किसानों की स्थिति सुधारने का वादा किया, लेकिन उन्हें खुदकुशी पर मजबूर कर दिया. भ्रष्टाचार के खात्मे का वादा किया, लेकिन 3000 करोड़ के धान घोटाले पर लीपापोती करते रहे. जब जनता के सामने हिसाब देने का वक्त है, तो भाजपा के खिलाफ झूठे आरोपों के तीर चला रहे हैं.
विपक्ष के नेता ने कहा कि राजद-जदयू-कांग्रेस गंठबंधन में दिन-रात इसी की होड़ है कि भाजपा के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान में कौन कितना झूठ बोलता है. राजद ने सामाजिक न्याय के नाम पर पिछड़ों के विकास का वादा किया, लेकिन जनता तो दूर अपनी पार्टी के भीतर भी किसी का विकास नहीं होने दिया. राजद प्रमुख ने किसका विकास किया, यह पूरा बिहार जानता है. इसी के कारण 15 साल तक बिहार में शासन चलानेवाले राजद प्रमुख को आज जदयू सुप्रीमो के अपमान के बावजूद जहर पीकर नेता मानना पड़ गया है. कांग्रेस का तो पूरा इतिहास ही झूठ का रहा है.
बिहार में करीब 40 साल और देश में 50 साल तक शासन करने वाली कांग्रेस एक ओर तो गरीबी हटाओ का वादा करती रही और दूसरी तरफ गरीबों का बचा-खुचा भी बरबाद करके रख दिया. सामाजिक-आर्थिक जनगणना रिपोर्ट में सामने आयी बिहार की बदहाली मुख्य रूप से इसी कांग्रेस और राजद की देन है.
भाजपा तो बिहार के विकास और सुशासन के मुद्दे पर विधानसभा चुनाव में उतरी है, लेकिन जदयू-राजद-कांग्रेस गंठबंधन की नाकामियों की लिस्ट इतनी बड़ी है कि वह हताशा में सिर्फ भाजपा विरोध के एजेंडे पर चुनाव लड़ रही है. ये तीनों झूठ बोलने में, गलतबयानी और दुष्प्रचार करने में माहिर हैं, लेकिन बिहार की जनता चूंकि इन सभी का कुशासन देख चुकी है, इसलिए इनके अभियान का कहीं कोई असर ही नहीं पड़ रहा है.