पहली तिमाही गुजर गयी और चौथा महीना भी आधा से ज्यादा निकल चुका है, लेकिन सरकार के तमाम विभाग मिलकर 10 फीसदी राशि भी खर्च नहीं कर सके. 16 विभागों का खर्च तो शून्य से लेकर एक फीसदी के ही बीच है, यानी साढ़े तीन महीने में विकास या कल्याण योजना पर कुछ भी खर्च नहीं किया गया. पिछले दो साल से बिहार में विकास और जन कल्याण योजनाओं को लेकर राजद और कांग्रेस समर्थित जदयू सरकार का यही रवैया रहा है.
उन्होंने कहा है कि काम नहीं कर पाने के कारण राज्य सरकार को दो साल से केंद्रीय राशि सरेंडर करनी पड़ रही है़ यादव ने कहा कि इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछड़ा-अतिपिछड़ा विभाग ने 0़12 फीसदी और एससी-एसटी कल्याण विभाग ने मात्र 0़5 फीसदी राशि खर्च की है.
भाजपा पर बिहार के शहरों की बदहाली का आरोप लगाने वाले जदयू ये तो बताये कि नगर विकास एवं आवास योजनाओं पर पिछले साढ़े तीन महीने में सिर्फ 0़10 फीसदी राशि ही क्यों खर्च हो पायी? यादव ने कहा कि अब तो कबीर अंत्येष्टि योजना ने भी बिहार में दम तोड़ दिया है. बीपीएल परिवारों को इस योजना के तहत परिवार के किसी सदस्य का निधन हो जाने पर अंतिम संस्कार के लिए तीन हजार रुपया मिलता था. साढ़े तीन महीने से इस योजना में सरकार ने एक पैसा भी नहीं दिया है. इससे गरीबों को लाभ मिलता है. सरकार को बताये कि क्या इसे योजना को भी सरकार बंद कर दी है?