पटना : आप नॉन बैंकिंग और चिट फंड कंपनियों के बारे में तो जानते-सुनते रहे होंगे. हम आपको मिला रहे हैं एक ऐसी नॉन बैंकिंग कंपनी से, जिसका नाम था ‘गुंडा बैंक’. यह नाम इस बैंक की कार्यशैली से पड़ा. यह इतना कुख्यात हुआ कि बीबीसी तक ने इस पर खबर बनायी. यह बैंक भागलपुर जिले के नवगछिया इलाके में था.
1990 से 2006 तक इसने नवगछिया के किसानों, खेतिहर मजदूरों और गरीबों की गाढ़ी कमाई से उगाही की. यह बैंक क्षेत्र में कई हत्याओं का भी कारण बना. इसके खिलाफ तीन सौ मामले अदालत में चल रहे हैं.
चिट फंड भारत में बचत योजना का एक पुराना और प्रचलित तरीका रहा है. केंद्र सरकार ने 1982 में केंद्रीय कानून बनाया ‘चिट फंड एक्ट, 1982.’ लेकिन बाद में यह देश-भर में ठगी का बड़ा जरिया बन गया. आप नॉन बैंकिंग कंपनी के खिलाफ कंपनी लॉ बोर्ड, उपभोक्ता फोरम, आरबीआइ, स्थानीय पुलिस या राज्य के वित्त विभाग के सचिव के पास शिकायत कर सकते हैं. जमा राशि की वसूली के लिए अदालत में सिविल सूट भी फाइल कर सकते हैं.
सही और फर्जी नॉन बैंकिंग कंपनियों तथा सार्वजनिक जमा लेने के लिए अधिकृत कंपनियों की सूची आरबीआइ की साइट पर उपलब्ध है. आप वहां जाकर ऐसी कंपनियों की सूची देख सकते हैं. आप सूचनाधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं.
किस कंपनी के लिए कहां से मांगें सूचना
चिट फंड सांस्थित वित्त विभाग, राज्य सरकर
बीमा कंपनियां आइआरडीए
आवास वित्त कंपनियां एनएचबी
वेंचर कैपिटल फंड सेबी
मर्चेट बैंकिंग कंपनियां सेबी
स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां सेबी
निधि कंपनियां कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय,भारत सरकार.
अब क्या कर रही है सरकार
सरकार ने अब निवेश को लेकर देश भर में जागरूकता अभियान चलाने का निर्णय लिया है.
(क) कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय : यह ‘इंवेस्टर अवेयरनेस कंपेन’ चलायेगा.
(ख) आरबीआइ : आरबीआइ को तीन कार्यक्रम दिये गये हैं :
अखबारों में विज्ञापन देकर जागरूक करना.
अखबारों के संपादकों को संवेदनशील बनाना कि वे निवेश संबंधी किसी कंपनी का विज्ञापन छापने में सावधानी बरतें.
जनता को ठगने वाले निवेश संबंधी योजनाओं से सावधान करना.
क्या है चिट फंड, कैसे करें सही कंपनी की पड़ताल, कहां जाएं-क्या करें निवेशक? पढ़िए, पंचायतनामा के 13-18 मई के ताजा अंक में.
चिटफंड कंपनियां राज्यों के जिम्मे
पटना : केंद्र सरकार ने चिट फंड कंपनियों की मॉनीटरिंग व उस पर कार्रवाई की जिम्मेवारी राज्य सरकार को सौंप दी है. उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस आरोप को भी सिरे से खारिज किया, जिसमें चिट फंड कंपनियों पर कार्रवाई की जिम्मेवारी केंद्र सरकार के होने की चर्चा की गयी थी. पटना एयरपोर्ट पर एक सवाल के जवाब में केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि अगर कोई चिट फंड कंपनी जनता के साथ धोखाधड़ी करती है, तो उस पर कार्रवाई करने की जिम्मेवारी भी राज्य सरकार की है.
केंद्र सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. निवेश के लिए तरह-तरह के प्रलोभन देकर भागनेवाली नॉन-बैंकिंग या चिट फंड कंपनियों के खिलाफ सीबीआइ जांच के सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कोलकाता हाइकोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआइ जांच की बात कही है. लेकिन, जब तक अंतिम फैसला नहीं आ जाता, हम सीबीआइ जांच नहीं करा सकते. अगर हाइकोर्ट अपनी अंतिम फैसले में सीबीआइ जांच की बात करती है, तो हम जरूर सीबीआइ जांच करायेंगे.