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विधान परिषद चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने दी व्यवस्था मतदान आज, बाद में तय होगा कार्यकाल
पटना: बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकायवाली 24 सीटों पर होनेवाले चुनाव पर संशय खत्म हो गया है. इसके लिए मंगलवार को वोट पड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव को हरी झंडी दे दी. मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाले खंडपीठ ने पटना हाइकोर्ट के 30 जून तक इन सीटों का कार्यकाल तय करने […]
पटना: बिहार विधान परिषद की स्थानीय निकायवाली 24 सीटों पर होनेवाले चुनाव पर संशय खत्म हो गया है. इसके लिए मंगलवार को वोट पड़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव को हरी झंडी दे दी. मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षतावाले खंडपीठ ने पटना हाइकोर्ट के 30 जून तक इन सीटों का कार्यकाल तय करने संबंधी आदेश को स्थगित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव के बाद इस पर निर्णय होगा. कोर्ट ने छह सप्ताह बाद इसकी सुनवाई की तिथि निर्धारित की है.
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के बाद यह तय हो गया कि इन 24 सीटों पर चुनाव के बाद ही सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण हो सकेगा. इसके पहले निर्वाचन आयोग ने खंडपीठ के समक्ष हलफनामा दायर कर कहा कि चुनाव के बाद वह सीटों के कार्यकाल का निर्धारण करेगा. स्थानीय प्राधिकार कोटे के तहत होनेवाले द्विवार्षिक चुनाव में सभी 24 सीटों के लिए एक साथ चुनाव कराया जा रहा है, जबकि इस कोटे से निर्वाचित एक-तिहाई प्रतिनिधियों का कार्यकाल हर दो वर्ष के बाद समाप्त हो जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पटना में राज्य के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर लक्ष्मण ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा कि विधान परिषद में निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर होगा.
श्री लक्ष्मण ने बताया कि पटना हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से राज्य के सभी दलों और चुनाव लड़नेवाले प्रतिनिधियों को सूचित किया जा रहा है. उनको प्रेस और सार्वजनिक सूचना के माध्यम से भी यह जानकारी भेजी जा रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर ही उनका कार्यकाल निर्धारित होगा. यह पूछे जाने पर कि कार्यकाल का निर्धारित सुप्रीम कोर्ट या निर्वाचन आयोग करेगा, श्री लक्ष्मण ने बताया कि फिलहाल इस पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता है.
मालूम हो कि द्विवार्षिक चुनाव होने के कारण यह पेंच फंस गया है कि आठ सदस्यों का कार्यकाल दो साल, अन्य आठ सदस्यों का कार्यकाल चार साल जबकि आठ अन्य सदस्यों का पूर्ण कार्यकाल छह वर्षो का निर्धारित किया जाना है. इसके बाद ही द्विवार्षिक चुनाव का चक्र पूरा होगा.
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