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24 घंटे गुरु का मिला साथ, सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र बने बेस्ट

रेगुलर प्रैक्टिस व ओपनली इन्वायरमेंट ने पढ़ाई से जोड़े रखा छात्रों को रिंकू झा पटना : एवरेस्ट पर चढ़ने की इच्छा किसकी नहीं होती है. लेकिन एवरेस्ट पर वही चढ़ता है, जो हर कठिनाई को दरकिनार कर अपने लक्ष्य ( एवरेस्ट) की ओर नजर रखता है. कुछ ऐसा ही एक उदाहरण बिहार का नेतरहाट कहे […]

रेगुलर प्रैक्टिस व ओपनली इन्वायरमेंट ने पढ़ाई से जोड़े रखा छात्रों को
रिंकू झा
पटना : एवरेस्ट पर चढ़ने की इच्छा किसकी नहीं होती है. लेकिन एवरेस्ट पर वही चढ़ता है, जो हर कठिनाई को दरकिनार कर अपने लक्ष्य ( एवरेस्ट) की ओर नजर रखता है. कुछ ऐसा ही एक उदाहरण बिहार का नेतरहाट कहे जाने वाले सिमुलतला आवासीय विद्यालय, जमुई के छात्रों ने कर दिखाया है.
एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तमाम छात्रों ने मैट्रिक में बेहतर रिजल्ट देकर यह साबित कर दिया है कि अगर एवरेस्ट (लक्ष्य) पर चढ़ने के लिए सही गाइड (गुरु) मिले, तो कठिनाई पर विजय प्राप्त की जा सकती है.
11 शिक्षकों से विद्यालय की शुरुआत हुई थी : 11 शिक्षकों ने 120 छात्रों पर मेहनत की. छात्रों का सुबह चार बजे से रात के नौ बजे तक का समय शिक्षकों के साथ ही गुजरता है. शिक्षिका कुमारी पुष्पा ने बताया कि छठी में नामांकन होने के बाद छात्रों का दो महीने टेस्ट लिया जाता है. इससे छात्र के मेंटल लेवल का पता चल जाता है.
सीबीएसइ, आइसीएसइ बोर्डो के बाद पढ़ते हैं बिहार बोर्ड का सिलेबस
सिमुलतला आवासीय विद्यालय में हर बोर्ड के सिलेबस पर फोकस किया जाता है. छात्रों को हर चीजों का नॉलेज हो, इसके लिए सीबीएसइ के अलावा आइसीएसइ बोर्डो के सिलेबस को भी पढ़ाया जाता है. मैथ की शिक्षिका कुमारी पुष्पा ने बताया कि जब विद्यालय खुला था, तो यह सीबीएसइ बोर्ड पर आधारित था. लेकिन बाद में यह बिहार बोर्ड से जुड़ गया. पर, आज भी हर बोर्ड के सिलेबस को हम फॉलो करते हैं.
आठवीं तक हम सीबीएसइ, आइसीएसइ बोर्ड की हर किताब से छात्रों की प्रैक्टिस करवाते हैं. नौवीं से बिहार बोर्ड को फोकस करते हैं. नौवीं से ही छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना शुरू कर दिया जाता है.
सफलता के मूल मंत्र
1. रेमेडियल क्लास : इसके अंतर्गत ऐसे छात्रों को चुना जाता है, जो किसी विषय में कमजोर होते हैं. छठी क्लास में ही ऐसे छात्रों को चुन लिया जाता हैं, जो छात्र जिस भी विषय में कमजोर होता है, उसके ऊपर विद्यालय के शिक्षक अलग से समय देते हैं. सप्ताह में तीन दिन दो घंटे का रेमेडियल क्लास आयोजित किया जाता है.
2. इच वन, टीच वन : गांधी जी के सोच पर आधारित इस स्टडी के तहत जूनियर बच्चों को सिमुलतला के छात्र पढ़ाते हैं. पूर्व प्रिंसिपल शंकर प्रसाद ने बताया कि बच्चों में समाजसेवा का भाव आये, इसके लिए झाझा ब्लॉक के जितने भी बच्चे होते हैं, उन्हें सिमुलतला के छात्र हर दिन तीन घंटे पढ़ाते हैं.इससे छात्रों की प्रैक्टिस भी हो जाती हैं.
3. श्रुति लेख-इसके तहत हर दिन एक ऐसा क्लास होता है, जिसमें छात्रों को एक साथ जोर-जोर से पढ़ने को कहा जाता है. इससे छात्रों का उच्चरण बढ़ता है और हेजिटेशन कम होता है. हर प्रयोग हर क्लास के लिए करवाया जाता है. एक घंटे के इस क्लास में हर छात्र को बोल कर पढ़ने के लिए कहा जाता हैं.
4. खुद करें अपना काम-सिमुलतला आवासीय विद्यालय में गुरुकुल परंपरा अपनायी गयी है. इस कारण यहां पर छात्रों को खाना बनाने और परोसने की भी ड्यूटी दी जाती है. छात्रों में सर्वागींण विकास हो, छात्रों में व्यावहारिकता आये, इस कारण खुद से ही सारा काम करवाया जाता है.
इनका रखा जाता है ध्यान
– हर दिन छह घंटे का अभ्यास करवाया जाता हैं
– 24 घंटे शिक्षकों का साथ मिलने से छात्र की जिज्ञासा हमेशा पूरी होती है
– शिक्षक पढ़ाई संबंधित फीडबैक भी छात्रों से समय-समय पर लेते हैं
– आठवीं के बाद छात्रों में प्रतियोगिता का भाव डालना शुरू कर दिया जाता हैं
इस स्कूल की शुरुआत में सभी अच्छे संस्थानों से फीडबैक ली गयी थी. बेसिक सुविधाओं की भले कमी है, लेकिन यहां पर शिक्षकों का माहौल ऐसा है कि हर छात्र का एक समान विकास होता है. इसका लाभ बच्चों को मिला है.
राजीव रंजन, प्राचार्य
सिमुलतला आवासीय विद्यालय

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