पटना: बुधवार को ‘सूचना के जन अधिकार का राष्ट्रीय अभियान’ के तत्वावधान में आरटीआइ कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर जनसुनवाई आयोजित की गयी. आइएमए हॉल में आयोजित इस जनसुनवाई में विभिन्न जिलों से आये 20 कार्यकर्ताओं ने अपने ऊपर हुए प्रताड़ना का जिक्र किया.
इसमें मजदूर किसान शक्ति संगठन के प्रमुख व आरटीआइ आंदोलन के नेता निखिल डे, वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व मैग्सेसे अवार्ड विजेता संदीप पांडेय और पद्मश्री सुधा वर्गीज सहित आरटीआइ से जुड़े कई पुराने कार्यकर्ता शामिल हुए. निखिल डे ने कहा कि सूचना, सुनवाई, कार्रवाई और सुरक्षा के बिना किसी भी तंत्र को जवाबदेह नहीं बनाया जा सकता. इसलिए जरूरी है कि आरटीआइ कानून के साथ विसल ब्लोअर्स प्रोटेक्शन एक्ट और शिकायत निवारण कानून पर भी गंभीरता से चर्चा कर इन्हें पारित कराया जाय. श्री डे ने बिहारमें आइटीआइ कानून के पालन में हो रही अनियमितताओं पर गहरी चिंता जतायी.
जानकार नागरिक ही जागृत
पद्मश्री सुधाश्री वर्गीज ने आरटीआइ में प्रस्तावित संशोधन पर अपना विरोध जाहिर करते हुए पारदर्शिता और जवाबदेही के पक्ष में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जानकार नागरिक ही जागृत हो सकता है. अभियान की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य आशीष रंजन ने कहा कि सूचना दिलाने की जिम्मेदारी सरकार और सूचना आयोग की है, मगर दोनों ही इस धार को कुंद करने में लगे हैं. कार्यक्रम में शिक्षाविद् विनय कंठ, वरिष्ठ पत्रकार निवेदिता, रूपेश, आरटीआइ कार्यकर्ता कामायन स्वामी, शिव प्रकाश राय, मणिलाल, महेंद्र यादव, शहीद कमाल, अरविंद कुमार व डॉक्टर सत्यजीत सिंह ने भी अपने विचार रखे.