इसमें मांगलिक कार्य नहीं होंगे. साल 2015 का यह मलमास कई मामलों में बेहद अहम है, क्योंकि यह योग 19 साल बाद बन रहा है. आषाढ़ मास में मलमास लगने का संयोग दशकों बाद बनता है। इससे पूर्व 1996 में यह संयोग बना था और अगली बार 2035 में यह संयोग बनेगा। मलमास में मांगलिक कार्य तो विर्जत रहते हैं, लेकिन भगवान की आराधना, जप-तप, तीर्थ यात्र करने से ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है.
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आज से पांच माह तक मांगलिक कार्यो पर ब्रेक
पटना: बुधवार (17 जून) से मलमास शुरू हो रहा है, जो 16 जुलाई तक रहेगा. इसके साथ सभी मांगलिक कार्यो पर पूरे पांच महीने तक के लिए ब्रेक लग जायेगा. इसके बाद सीधे 22 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के साथ शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी, जिसमें शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य होंगे. पंडित मार्कण्डेय शारदे के […]
पटना: बुधवार (17 जून) से मलमास शुरू हो रहा है, जो 16 जुलाई तक रहेगा. इसके साथ सभी मांगलिक कार्यो पर पूरे पांच महीने तक के लिए ब्रेक लग जायेगा. इसके बाद सीधे 22 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के साथ शुभ मुहूर्त की शुरुआत होगी, जिसमें शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य होंगे. पंडित मार्कण्डेय शारदे के अनुसार 16 जून की अमावस्या तिथि से अगली अमावस्या तिथि 16 जुलाई तक सूर्य की संक्रांति नहीं होने के कारण आषाढ़ मास में मलमास लग रहा है. इसमें आषाढ़ दो महीने का होगा.
क्या है मलमास
हिंदू वर्ष में कुल 12 महीने होते हैं, लेकिन यह वर्ष करीब 13 महीनों का हो रहा है. इसे ही मलमास कहते हैं. यह हर तीन वर्ष बाद आता है. पिछली बार यह 2012 में लगा था. साल में 12 चंद्रमास लगभग 354 दिन का होता है, जिसमें सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं. वहीं, एक सौर वर्ष 365 दिन छह घंटे का होता है. सौर वर्ष तथा चंद्र वर्ष में प्रत्येक वर्ष लगभग 11 दिनों का अंतर होता है. इसलिए तीन चंद्र वर्षो के मध्य एक अधिमास की आवश्यकता पड़ती है. उस स्थिति में चंद्र वर्षो में दिनों की संख्या 384 हो हो जाती है और सूर्य की संक्रांति नहीं होती है. ऋ षियों द्वारा ऋतु संवत्सर को नियंत्रित करने के लिए अधिमास बनाया गया है.
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