पूरी तरह डिरेल्ड हो चुकी है जदयू सरकार संवाददाता, पटना जदयू सरकार के मुखिया की प्राथमिकता में बिहार हित और जनहित है ही नहीं. उनकी एकमात्र प्राथमिकता किसी तरह से विलय, गंठबंधन और मोरचाबंदी है. इन सबके बीच लुकाछीपी, दोस्ती-दुश्मनी, वार-पलटवार और घात-प्रतिघात का खेल चल रहा है. जदयू सुप्रीमो ने सोचा था कि राजद प्रमुख चूंकि चुनाव नहीं लड़ सकते, इस लिए वे खुद को सीएम का दावेदार आसानी से घोषित कर लेंगे, किंतु दांव उलटा पड़ गया. वे भूल गये कि एक म्यान में दो तलवार संभव नहीं. अपने शासक की नाकामी के कारण दोनों दलों को न तो खुद पर, न ही एक दूसरे पर भरोसा है. विलय-गंठबंधन की आर में नाकामी छुपाने के चक्कर में इन्होंने बिहार का जिस तरह बंटाधार किया है, उससे जनता का भरोसा भी इनसे पूरी तरह उठ चुका है. उक्त बातें शनिवार को विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंद किशोर यादव ने कही. उन्होंने कहा है कि जदयू सरकार पूरी तरह डिरेल्ड हो चुकी है. बिहार में कृषि इनपुट सबसिडी के लिए किये गये सर्वेक्षण में 18,71,649 किसानों को पैसे मिलने थे, किंतु मिला सिर्फ 14,80, 130 को. यानी 3,91,519 किसान अभी तक इससे वंचित हैं. इसी तरह पिछले वर्ष भी जदयू सरकार को 12 हजार करोड़ से अधिक की केंद्रीय मदद से वंचित रहना पड़ा था. धान किसानों का बकाया 343 करोड़ का भुगतान करने की दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाया जा रहा. गेहूं खरीद के प्रोत्साहन के मोरचे पर भी कुछ नहीं किया जा रहा. (नोट : खबर दोबारा पढ़ी गयी है)
ेएक मयान में दो तलवार, कुचक्र में फंसा बिहार : नंद किशोर
पूरी तरह डिरेल्ड हो चुकी है जदयू सरकार संवाददाता, पटना जदयू सरकार के मुखिया की प्राथमिकता में बिहार हित और जनहित है ही नहीं. उनकी एकमात्र प्राथमिकता किसी तरह से विलय, गंठबंधन और मोरचाबंदी है. इन सबके बीच लुकाछीपी, दोस्ती-दुश्मनी, वार-पलटवार और घात-प्रतिघात का खेल चल रहा है. जदयू सुप्रीमो ने सोचा था कि राजद […]
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