उनका नजरिया साफ है. वे किसानों व गरीबों के हक के बारे में नहीं सोच सकते, वे सिर्फ कॉरपोरेट घरानों के लिए सोचते हैं. उन्हें तो सिर्फ कॉरपोरेट घरानों का नंबर चाहिए, किसानों का नहीं. उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल का लगभग सभी पार्टियां विरोध कर चुकी हैं. जितना विरोध भूमि अधिग्रहण बिल का हुआ है उतना ज्यादा विरोध आज तक किसी भी बिल पर नहीं हुआ है. जदयू ने भूमि अधिग्रहण बिल के खिलाफ 24 घंटे का उपवास कार्यक्रम भी किया . भूमि अधिग्रहण बिल का जदयू पुरजोर तरीके से विरोध करेगा और आगे भी आंदोलन को जारी रखा जायेगा.
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किसानों का हक छीनना चाहता है केंद्र: नीतीश कुमार
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भूमि बिल पर बार-बार अध्यादेश के जरिये सरकार किसानों की जमीन छीनना चाहती है. मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की किसानों के जमीन छीनने की मंशा […]
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर फिर मोदी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि भूमि बिल पर बार-बार अध्यादेश के जरिये सरकार किसानों की जमीन छीनना चाहती है. मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में एक कार्यक्रम के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की किसानों के जमीन छीनने की मंशा जगजाहिर है. केंद्र ने बिल लाकर उसे अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है. राज्य सभा में उनके पास बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है तो बार-बार अध्यादेश के जरिये किसानों का हक छीनने की कोशिश की जा रही है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के मंत्री दिल्ली से पटना ‘पैरा ट्रपर’ की तरह आते हैं. काम तो हो नहीं रहा. पूरे बिहार में पीसी (प्रेस कांफ्रेंस) हो रही है. जितने भी मंत्रलयों के मंत्री आ रहे हैं लगता है कि ‘बखोरने’ के लिए आ रहे हैं, लेकिन बिहार में उन्हें कुछ हासिल होने वाला नहीं है. राजधानी क्या अब तो जिलों में पीसी हो रही है. हमको छोड़ कर सभी पीसी कर रहे हैं. केंद्र में जो लोग रहते हैं उनके दिमाग में भ्रम रहता है जो बोलेंगे जनता मानेगी. उनमें अहंकार होता है. वे इतना बोल रहे हैं कि किसी को याद ही नहीं रहेगा कि क्या बोले थे, लेकिन सभी का टारगेट एक ही आदमी (नीतीश कुमार) है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों के पास अब तो शब्दों की भी कमी हो गयी है. उनके भीतर क्रोध व गुस्सा है. मेरे ऊपर की गयी टिप्पणी उनकी मानसिकता को दर्शाता है. सही शब्द का प्रयोग नहीं कर सकते तो आलोचना व निंदा करे उससे कोई दिक्कत नहीं है. वे तो प्रचार के मास्टर हैं. पार्टी में चाल-चरित्र की बात करते हैं, लेकिन उससे उनका संस्कार प्रकट होता है. नीतीश ने कहा कि उनके खिलाफ जिनको बोलना है बोलें. जब आदमी के पास कोई तर्क नहीं रह जाता है तो ऐसे ही बोलने लगता है.
तानाशाही प्रवृत्ति को दिया जा रहा बढ़ावा
आइटीआइ, मद्रास के एक छात्र संगठन पर प्रतिबंध लगाये जाने पर मुख्यमंत्री ने विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र पर प्रहार है. किसी की भी स्वतंत्रता पर यह हमला है. किसी को भी अपनी राय रखने का अधिकार है. प्रतिबंध लगा कर उसके अधिकार का उल्लंघन हो रहा है. इस तरह का प्रतिबंध लगा कर तानाशाही-फासीसी प्रवृत्ति को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसी घटनाओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. शिक्षक हो या फिर छात्र सभी को अपनी राय रखने का अधिकार है. यह अधिकार हमें हमारे संविधान ने दिया.
भूमि बिल पर तीसरी बार अध्यादेश
नयी दिल्ली. एक ओर जहां राज्यसभा में भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर राजनीतिक गतिरोध जारी है, वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी सरकार ने तीसरी बार इस मामले पर अध्यादेश का सहारा लिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शनिवार को विवादास्पद भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को फिर से जारी किये जाने की सिफारिश की. केंद्रीय मंत्रिमंडल की इस सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास मंजूरी के लिए भेजा जायेगा. वर्ष 2013 में यूपीए के कार्यकाल में बने भूमि अधिग्रहण काूनन में संशोधन के लिए मोदी सरकार ने पिछले वर्ष दिसंबर में पहली बार भूमि अध्यादेश लाया था. इस अध्यादेश के बदले संबंधित विधेयक लोकसभा में पारित होने के बावजूद सरकार संख्या बल की कमी के कारण उसे राज्यसभा में नहीं ला सकी.
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