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जेएएम से भ्रष्टाचार पर लग सकता है अंकुश

केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा, जेएएम या जैम (जनधन, आधार और मोबाइल) से योजनाओं को जोड़ कर बंद कर सकते हैं लीकेज पटना : केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रह्मण्यम ने आर्थिक सव्रे पर आयोजित सत्र के दौरान सवाल उठाया कि क्या सरकार की तरफ से […]

केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रह्मण्यम ने कहा, जेएएम या जैम (जनधन, आधार और मोबाइल) से योजनाओं को जोड़ कर बंद कर सकते हैं लीकेज
पटना : केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ अरविंद सुब्रह्मण्यम ने आर्थिक सव्रे पर आयोजित सत्र के दौरान सवाल उठाया कि क्या सरकार की तरफ से मिलनेवाला किसी तरह का अनुदान गरीबों के लिए फायदेमंद साबित होता है?
इस सवाल को विस्तार देते हुए कहा कि एलपीजी, केरोसिन, खाद, चावल, गेहूं, चीनी, बिजली व पानी समेत अन्य कई संसाधनों पर बीपीएल लोगों को सरकार करीब 42 प्रतिशत तक अनुदान देती है, लेकिन इस अनुदान का सही मायने में बीपीएल परिवारों को पूरा फायदा नहीं मिल पाता है. इसमें लीकेज या भ्रष्टाचार काफी व्याप्त है. उदाहरण स्वरूप पीडीएस के माध्यम से मिलने वाले केरोसिन में 41 प्रतिशत तक लीकेज मिलता है.
इस तरह तमाम सरकारी योजनाओं और सुविधाओं में लीकेज या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जेएएम (जनधन, आधार और मोबाइल) को अपनाने की जरूरत है. जनधन योजना के तहत लाभुकों का बैंक में खाता खोलना, आधार बनाना और मोबाइल के जरिये इन्हें लिंक करके संबंधित व्यक्ति को सीधे फायदा पहुंचाया जा सकता है. भारत जैसे देश में जहां करीब 900 मिलियन मोबाइल यूजर्स हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में भी तेजी से इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है.
ऐसी स्थिति में मोबाइल को आर्थिक सशक्तीकरण का आधार बनाना गलत नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद लोगों तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच सीधे होनी चाहिए. ताकि लोगों तक किसी योजना का लाभ सीधे पहुंचाया जा सके. अर्थव्यवस्था जितनी कैशलेस होगी, भ्रष्टाचार उतना ही कम होगा.
कृषि पर फोकस की जरूरत
डॉ सुब्रह्मण्यम ने कहा कि कृषि, उत्पादन और सर्विस तीन प्रमुख सेक्टरों के बीच सामंजस्य बनाये रखने की जरूरत है. कृषि डायनामिक सेक्टर नहीं होने के कारण इस पर समुचित तरीके से ध्यान नहीं दिया जाता है. जबकि यह बेहद महत्वपूर्ण सेक्टर है. इसका ग्रोथ रेट हर हाल में 5 प्रतिशत से कम नहीं रहना चाहिए.
वर्तमान में यह कम है. सर्विस और उत्पादन (मैन्युफैक्चरिंग) सेक्टर डायनामिक सेक्टर है. राजनीति स्तर पर इन तीनों सेक्टरों को बैलेंस करने में अक्सर दुविधा की स्थिति दिखती है, जिसे दूर करने की जरूरत है. कृषि सेक्टर गरीबों से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ होने से इस पर सबसे ज्यादा फोकस करने की जरूरत है.
सुदृढ़ अर्थव्यवस्था के कुछ अहम सूत्र
– भारत जैसे देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए पब्लिक निवेश को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है. निजी क्षेत्रों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं होने से इसमें निवेश करने में लोग कतराते हैं.
– बैंकों की भी स्थिति काफी सुधारने की जरूरत है. उद्योग और कारोबार के लिए बैंक ज्यादा से ज्यादा लोन दे सकें
– राज्यों को बजट तैयार करने में राजकोषीय घाटा को जीडीपी का 3.6 प्रतिशत तक रखने का दबाव रहता है. 14वें वित्त आयोग में इस समस्या को दूर करने के लिए राज्यों को टैक्स में मिलने वाली हिस्सेदारी में बढ़ोतरी की है.
– जीएसटी (गुड्स एंड सर्विस टैक्स) लागू होने से राज्यों की प्रभुता थोड़ी बढ़ेगी.
– राज्यों को बेहतर आर्थिक प्रबंधन के लिए को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म (सहकारी संघवाद) के सिद्धांत को अपनाने की जरूरत है. इसमें केंद्र, राज्य और निचले स्तर के निकायों को मिल कर किसी नीति पर विचार करना चाहिए.
– राज्यों को बाजार के संदर्भ में चार कार्य करने चाहिए, बाजार का निर्माण करना, न्यायसंगत तरीके से नियंत्रित करना, प्रोत्साहित करना और इसे जांचना या संशोधित करना. इससे राज्य की अर्थव्यवस्था सुचारु ढंग से चल सकेगी.

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