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मृतक की पत्नी को दो लाख का दिया जाये मुआवजा
पटना : मानवाधिकार आयोग ने पूर्णिया के मुफस्सिल (सदर) पुलिस स्टेशन के हाजत में 22 अगस्त 2004 को एक कैदी नोमान अली ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले की सुनवाई करने के बाद मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को फैसला सुनाया. अयोग के सचिव नीलमणि ने इस मामले में गृह विभाग को […]
पटना : मानवाधिकार आयोग ने पूर्णिया के मुफस्सिल (सदर) पुलिस स्टेशन के हाजत में 22 अगस्त 2004 को एक कैदी नोमान अली ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली थी. इस मामले की सुनवाई करने के बाद मानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को फैसला सुनाया. अयोग के सचिव नीलमणि ने इस मामले में गृह विभाग को आदेश दिया है कि दो महीने के अंदर मृतक की पत्नी अकालिमा खातून को दो लाख रुपये का मुआवजा दें.
साथ ही पूर्णिया के एसपी को आदेश दिया है कि वह इस मामले में दोषी थाना प्रभारी, एएसआइ या दारोगा और हाजत ड्यूटी पर तैनात सिपाही पर भी उचित कार्रवाई कर दो महीने में इसकी रिपोर्ट आयोग को सौंपे.
अगस्त 2004 में नोमान को उसके गांव के मुखिया धनंजय भगत और अन्य गांव वालों ने मिल कर बिजली का पोल काटते हुए रंगे हाथ पकड़ा लिया था. इसके बाद इसकी पिटाई करने के बाद पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने मामला दर्ज कर इसे हाजत में डाल दिया. परंतु 22 अगस्त 2004 की सुबह हाजत में मो. नोमान को मृत पाया गया.
उसने अपनी लुंगी को गेट में फंसा कर आत्महत्या कर ली थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह बात स्पष्ट हो गयी कि कैदी की मौत दम घुटने से हुई है. इस मामले में विधवा ने मुखिया पर मुकदमा भी दर्ज कराया था. मानवाधिकार आयोग ने मामले की सुनवाई में उस समय थाने में तैनात पुलिस कर्मियों को दोषी पाया.
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