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सूबे में बनेगा पहचान आयोग

अगले साल से लागू होगा खाद्य सुरक्षा कानून पटना : खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आनेवाले लाभार्थियों की पहचान के लिए अलग से राज्य पहचान आयोग बनेगा. अगले साल जनवरी के प्रथम सप्ताह से बिहार खाद्य सुरक्षा कानून लागू होगा. विभिन्न स्तरों पर तैयारी […]

अगले साल से लागू होगा खाद्य सुरक्षा कानून

पटना : खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्याम रजक ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में आनेवाले लाभार्थियों की पहचान के लिए अलग से राज्य पहचान आयोग बनेगा. अगले साल जनवरी के प्रथम सप्ताह से बिहार खाद्य सुरक्षा कानून लागू होगा. विभिन्न स्तरों पर तैयारी चल रही है.

राज्य खाद्य आयोग के गठन की प्रक्रिया चल रही है. वह बुधवार को एनएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान राज्य योजना बोर्ड द्वारा खाद्य सुरक्षा विधेयक 2013 पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि सामाजिक आर्थिक गणना रिपोर्ट आने के बाद तय हो सकेगा कि खाद्य सुरक्षा कानून के दायरे में कौन होंगे. लोगों से सुझाव भी लिये जायेंगे. खाद्य सुरक्षा देने के लिए किसी भी प्रकार की शिकायत की जांच के लिए सभी जिलों में शिकायत निवारण पदाधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है.

बिहार की 85.12 प्रतिशत ग्रामीण 74.53 प्रतिशत शहरी आबादी को इस बिल का लाभ मिलेगा. इसके लिए प्रति माह 4.50 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत होगी. राज्य में भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होगा. राज्य में भंडारण क्षमता की कमी है. 10 लाख टन का भंडारण क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य है. 12 हजार स्वयं सहायता समूह पैक्सों को पीडीएस चलाने की जिम्मेवारी दी जायेगी.

पीडीएस को दुरुस्त करना जरूरी

पीडीएस तक डोर डिलेवरी इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट रिसर्च के कुलपति प्रो एस महेंद्र देव ने कहा कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून से कुपोषण को दूर करने में मदद मिलेगी. हालांकि, इसमें दाल अन्य प्रोटीन की व्यवस्था नहीं है. इसे से बेहतर तो कहा ही जा सकता है.

बिहार में तीन साल से कम उम्र के 54.9 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. मध्यप्रदेश में 57.9, झारखंड में 54.6, छत्तीसगढ़ में 47.8, यूपी में 41.6, गुजरात में 41.1 ओड़िशा में 39.5 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं. इसे लागू करने के लिए पीडीएस सिस्टम को दुरुस्त करना सबसे जरूरी है.

आंगनबाड़ी का हो विस्तार

योजना विकास विभाग के प्रधान सचिव विजय प्रकाश ने कहा कि खाद्य सुरक्षा के तहत समुदायों को उनके आदत के अनुरूप भोजन उपलब्ध कराना होगा. आंगनबाड़ी केंद्रों के विस्तार की जरूरत है. स्कूलों में चलाये जा रहे मिड डे मील से शिक्षकों को अलग रखा जाना चाहिए. 400 प्रकार के जानवर हैं, जिन्हें आदमी खा सकता है. इसी प्रकार सहजन की पत्ती सहित कई प्रकार की पत्तियां हैं, जिन्हें खाकर पर्याप्त प्रोटीन कैलोरी प्राप्त की जा सकती है.

राज्य में कृषि रोड मैप में गेहूं चावल के साथ दलहन और तिलहन उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य है. पीडीएस सिस्टम में सुधार और भंडारण क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.

गोदामों में लगाये जा रहे कैमरे

खाद्य उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रधान सचिव शिशिर कुमार सिन्हा ने कहा कि उपभोक्ताओं को एटीएम की तरह स्मार्ट कार्ड उपलब्ध करा कर बेहतर तरीके से राशन उपलब्ध कराया जा सकता है. पीडीएस से विभिन्न स्तरों पर कंप्यूटराइजेशन कराया जा रहा है. गोदाम में कैमरे लगाये जा रहे हैं.

खाद्य सुरक्षा विधेयक के प्रावधानों से बिहार की अधिक आबादी को लाभ मिलेगा. सेमिनार को प्रो एनएमपी वर्मा, प्रो रेणु खासला, डॉ कौस्तुभ बनर्जी, डॉ अमरनाथ त्रिपाठी, डॉ योगेश बंधु, डॉ सनातन नायक डॉ अविरल पांडेय, आरके पांडा, जीपी मिश्र, डॉ रोमा ने भी संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन अनुग्रह नारायण सिंह समाज अध्ययन संस्थान के रजिस्ट्रार प्रो नील रतन ने किया.

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