उद्घाटन समारोह में विभागीय मंत्री व सचिव ने घोषणा की थी कि अगले तीन माह में 300 बसे राजधानी की सड़कों पर दौड़नी शुरू कर देगी. बस सेवा के उद्घाटन के बाद मंत्री, विभागीय सचिव व बुडको के एमडी बदले गये. नयी शासन व्यवस्था में पिछला सब कुछ भुला दिया गया. यही कारण है कि सात माह बाद भी सिर्फ पांच रूटों पर 40 बसे ही दौड़ रही है. अब मामला बसों की ऑपरेशन व मेंटेनेंस में फंसा हुआ है. इससे नुरूम बस सेवा अधर में लटक गया है.
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मेंटेनेंस के पेच में फंसी नुरूम बस सेवा
पटना: राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर सुविधा लोगों को मिले, इसको लेकर पटना की 17 रूटों पर 300 बसों को उतारना था. योजना को पूरा करने की जिम्मेवारी नगर आवास विकास विभाग ने बुडको को दी. बुडको प्रशासन ने आनन-फानन में 14 अगस्त, 2014 को 20 बसों को सड़क पर उतारते हुए नुरूम बस […]
पटना: राजधानी में पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन की बेहतर सुविधा लोगों को मिले, इसको लेकर पटना की 17 रूटों पर 300 बसों को उतारना था. योजना को पूरा करने की जिम्मेवारी नगर आवास विकास विभाग ने बुडको को दी. बुडको प्रशासन ने आनन-फानन में 14 अगस्त, 2014 को 20 बसों को सड़क पर उतारते हुए नुरूम बस सेवा का उद्घाटन कर दिया.
तैयार नहीं हुआ बस डिपो
नुरूम बस सेवा की बसों की रख-रखाव को लेकर पटना सिटी व फुलवारीशरीफ में बस डिपो बनाने के लिए स्थान चिह्न्ति किया गया. दोनों स्थानों पर पथ परिवहन निगम की पांच-पांच एकड़ भूखंड है. बुडको प्रशासन ने बस डिपो बनाया नहीं और सेवा शुरू कर दी. स्थिति यह है कि नुरूम की वर्तमान में 40 बसे ही चल रही है, जो रात्रि में जहां-तहां सड़क किनारे खड़ी रहती है. इस स्थिति में बसों की संख्या नहीं बढ़ायी जा रही है. हालांकि, बुडको प्रशासन ने दावा किया है कि डिपो बनाने का मामला सुलझ गया है और टेंडर निकाल दिया गया है. इसके बावजूद डिपो को तैयार करने में एक साल से अधिक समय लगने की संभावना है.
ऑपरेशन के लिए चयनित की जा रही एजेंसी
नुरूम बस सेवा शुरू किया गया, तो इन बसों की रख-रखाव के साथ-साथ संचालन के लिए निजी एजेंसी को चयनित किया गया था. लेकिन, बुडको प्रशासन ने सेवा-शर्त के अनुसार चयनित एजेंसी को बस नहीं उपलब्ध कराया और नहीं बसों की ठहराव के लिए डिपो बनाया. इससे चयनित एजेंसी को बसों की रख-रखाव व संचालन में हानी हो रहा था. इससे निजी एजेंसी ने बसों के संचालन व मेंटेनेंस का कार्य छोड़ दिया है. अब बुडको प्रशासन दूसरी एजेंसी तलाश रही है, जो बसों की परिचालन व मेंटेनेंस कर सकें.
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