2009 में हुए सर्वे के आधार पर टर्मिनल की सुरक्षा का जिम्मा सीआइएसएफ के 294 जवानों को दिया गया था. इसके बाद सुरक्षा को लेकर सही मायने में नया सर्वे नहीं किया गया. इससे जवानों की संख्या नहीं बढ़ पाई. हालांकि कई बार एयरपोर्ट पर पंप व पावर हाउस चेक प्वाइंट भी बढ़ाये गये हैं.
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छह साल से नहीं बढ़ी जवानों की संख्या
पटना: खतरों के बीच जूझता राजधानी का जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट को बने कई साल हो गये हैं. लेकिन, इसकी सुरक्षा में तैनात सीआइएसएफ जवानों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है. अभी भी छह साल पहले स्वीकृत हुए सुरक्षा बल एयरपोर्ट की सिक्योरिटी में लगे हुए हैं, जबकि कई बार सुरक्षा की दृष्टि […]
पटना: खतरों के बीच जूझता राजधानी का जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट को बने कई साल हो गये हैं. लेकिन, इसकी सुरक्षा में तैनात सीआइएसएफ जवानों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की जा रही है. अभी भी छह साल पहले स्वीकृत हुए सुरक्षा बल एयरपोर्ट की सिक्योरिटी में लगे हुए हैं, जबकि कई बार सुरक्षा की दृष्टि से जवानों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन, इस पर फैसला नहीं लिया गया है.
50 जवानों की है कमी
सीआइएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक सही मायने में अगर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ानी है, तो जेपी एयरपोर्ट पर 50 जवान और चाहिए, ताकि व्यवस्था पूरी तरह से सही रहे. सीआइएसएफ के अधिकारियों की माने तो दो साल पहले 50 जवान बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन, दिल्ली से मंजूरी नहीं मिली है. वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जेपी एयरपोर्ट की सुरक्षा कर रहे सीआइएसएफ के जवानों का बोझ दिल्ली एयरपोर्ट प्रबंधन ही उठाता है. प्रबंधन मौजूदा जवानों पर हर महीने करीब 1 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च कर रहा है. एयरपोर्ट सूत्रों के मुताबिक, जवानों की संख्या अगर बढ़ती है, तो बोझ एयरपोर्ट प्रबंधन पर ही आयेगी. यही वजह है कि नये जवानों को तैनात नहीं किया जा रहा है.
खतरनाक एयरपोर्ट में गिनती
एयरपोर्ट की गिनती पिछले कई सालों से खतरनाक एयरपोर्ट में होती है. बावजूद इसके एयरपोर्ट की सुरक्षा से जुड़े आला अधिकारियों की ओर से कार्रवाई के नाम पर चुप्पी साधे हुए है. एक ओर जहां सुरक्षा बलों की कमी है, वहीं दूसरी ओर एयरपोर्ट पर बड़े पेड़ और पक्षी बाधक बनते हैं. खतरनाक एयरपोर्ट की वजह से यहां के एयरपोर्ट को अवैध घोषित किया गया है, जबकि कई बार आतंकी धमकी भी मिल चुकी हैं.
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