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नशाखोरी: नशीली दवाओं के कारोबार से सीधे जुड़े हैं हथियार व अपराधी, बिहार बन रहा ड्रग ट्रैफिक सेंटर

पटना: बिहार ‘ड्रग्स का ट्रैफिक सेंटर’ बनता जा रहा है. यानी अब यहां ड्रग्स का सेवन करने के अलावा उसकी सप्लाइ का भी सेंटर बनता जा रहा है. यह राज्य की सरकार के साथ ही समाज के लिए बेहद चिंता की बात है. संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि पूरी […]

पटना: बिहार ‘ड्रग्स का ट्रैफिक सेंटर’ बनता जा रहा है. यानी अब यहां ड्रग्स का सेवन करने के अलावा उसकी सप्लाइ का भी सेंटर बनता जा रहा है. यह राज्य की सरकार के साथ ही समाज के लिए बेहद चिंता की बात है. संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि पूरी दुनिया में युवाओं में ड्रग्स लेने की शुरुआती उम्र 18 वर्ष से घट कर 12 वर्ष हो गयी है. बिहार भी इससे अछूता नहीं है. पिछले कुछ सालों में ड्रग्स की तस्करी का कारोबार तेजी से बढ़ा है. बिहार इसका सुरक्षित रास्ता बन गया है.
शाहाबाद का इलाका ड्रग्स कारोबारियों के लिए सुरक्षित जोन बनता जा रहा है. राज्य के डीजीपी पीके ठाकुर ने ड्रग्स से जुड़े कारोबार को पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती मानते हुए इसके रोकथाम के तमाम उपायों पर गंभीरता से अमल करने की बात कही. डीजीपी ‘ड्रग्स के उपयोग और कानूनी आचरण’ संबंधित विषय पर आयोजित एकदिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन बुधवार को बीएमपी-5 के सभागार में कर रहे थे. आर्थिक अपराध इकाई (इओयू) की तरफ से आयोजित इस कार्यशाला में डीआइजी, सभी जिलों के एसपी समेत अन्य वरीय पुलिस अधिकारी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि जिस रास्ते से नशीली दवाएं आती हैं, उसी रास्ते से अपराधी और हथियार भी आते हैं. इसलिए पुलिस वालों को इस पर सख्त नजर रखने की जरूरत है. इसका कारोबार सीधे तौर से अपराध से जुड़ा है. पुलिस अधिकारियों को इससे संबंधित एनडीपीएस (नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटांस) एक्ट की जानकारी होनी चाहिए. कार्यक्रम को यूनाइटेड नेशन ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था. इस दौरान यूएनओडीसी की दक्षिण एशिया की प्रमुख क्रिस्टिना अल्बर्ट भी मौजूद थीं.
इन ड्रग्स का भी बढ़ने लगा
राज्य में पिछले कुछ दिनों में गांजा, चरस, स्मैक के अलावा कई तरह के रासायनिक ड्रग्स का चलन भी बढ़ा है. पिछले तीन सालों के दौरान हुई छापेमारी में इस तरह के ड्रग्स सामने आये हैं. हेरोइन, स्पार्मा प्रोक्सिवोन, फेंसीड्रिल और कोरेक्स सिरप, नूपहिन, एक्टिवैन, एलएसडी समेत अन्य तरह की रासायनिक ड्रग्स का चलन भी तेजी से बढ़ा है.
गांजे की खेती के लिए बदनाम जिले
राज्य में गया, नवादा, जमुई, मुंगेर, मधेपुरा, कैमूर जिले गांजा की खेती के लिए काफी बदनाम हैं. इन जिलों में पुलिस हर वर्ष गांजा की काफी एकड़ खेती को बर्बाद करती है. 2014 में 24.72 एकड़ और 2015 में अब तक 13.3 एकड़ गांजे की अवैध फसल को बर्बाद किया जा चुका है. इस मामले में पिछले साल 16 और इस साल मार्च तक 24 लोगों पर मामला दर्ज हो चुका है. ड्रग्स कारोबार में नेपाल से सटे सीमावर्ती जिले में ज्यादा मामले सामने आये हैं.
पूरा शाहाबाद क्षेत्र बन रहा ड्रग्स हब
एडीजी गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि अब बक्सर, कैमूर, आरा समेत पूरा शाहाबाद जिला ड्रग्स हब बनता जा रहा है. राज्य में ड्रग्स के कारोबार की रोकथाम के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को इस मुद्दे के प्रति संवेदीकरण करने से जुड़ी कार्यशाला जिला स्तर पर भी आयोजित करने की जरूरत है. जिला स्तर पर छोटे पुनर्वास केंद्र और काउंसेलर की व्यवस्था होनी चाहिए. पुलिस की भूमिका ऐसे लोगों को सिर्फ जेल में बंद करना नहीं, बल्कि ड्रग्स एडिक्टों के पुनर्वास की जरूरत है. इओयू के आइजी जितेन्द्र सिंह गंगवार ने कहा कि राज्य में ड्रग्स से जुड़े मामलों का सव्रे किया जायेगा. पुलिस के साथ-साथ आम लोगों को भी इसके लिए संवेदनशील होने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग के सचिव आनंद किशोर ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य और समाज कल्याण विभाग मिल कर जल्द ही एक सर्वे करायेगा. इसके लिए राज्य में एक हेल्प लाइन शुरू करनी चाहिए.

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