पटना: बक्सर के निवासियों को जो जाति प्रमाणपत्र जारी किया जाता है, उसमें कार्यालय व जाति का नाम नहीं आता है. नालंदा के सिलाव प्रखंड से जो प्रमाणपत्र जारी किये जाते हैं, उनमें बीडीओ का डिजिटल सिग्नेचर नहीं रहता है, जबकि नालंदा जिला इ-डिस्ट्रिक्ट के रूप में घोषित है. ऐसे में जो प्रमाणपत्र निर्गत होता है, उसकी वैधता क्या होगी, यह लाख टके का सवाल बना हुआ है.
नहीं आती है सही रिपोर्ट
राज्य का कोई ऐसा जिला नहीं है, जहां आरटीएपीएस का सॉफ्टवेयर ठीक ढंग से काम कर रहा हो. हर जिले में कोई-न-कोई समस्या है. आरटीपीएस का पोर्टल भी ठीक से नहीं खुलता है. शिवहर, सुपौल व बांका में आरटीपीएस सॉफ्टवेयर में वाणिज्य कर कार्यालय नहीं आता है.
समीक्षा में खुलासा
इसके रखरखाव की जिम्मेवारी बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन की है. यह खुलासा हाल ही में मिशन के निदेशक के स्तर पर हुई बैठक में हुआ है. समीक्षा के क्रम में यह खुलासा हुआ कि कहीं पंचायत व थाना का नाम नहीं आता, तो कहीं जाति प्रमाणपत्र में जाति का नाम नहीं आता. जिलों से आवेदन व उसके निष्पादन को लेकर जो रिपोर्ट आती है, वह सही नहीं आ रही है. खास कर जहानाबाद में लंबित आंकड़ों में काफी भिन्नता रहती है.