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काउंटर हलफनामा दायर कर फंसा सीबीआइ
पटना : पटना उच्च न्यायालय में धान घोटाला मामले में मंगलवार को सीबीआइ को फजीहत ङोलनी पड़ी, जब मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआइ के डीआइजी को कोर्ट बुलवाया और पूछा कि किस अधिकारी ने यह हलफनामा दायर किया है. मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह की […]
पटना : पटना उच्च न्यायालय में धान घोटाला मामले में मंगलवार को सीबीआइ को फजीहत ङोलनी पड़ी, जब मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआइ के डीआइजी को कोर्ट बुलवाया और पूछा कि किस अधिकारी ने यह हलफनामा दायर किया है.
मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हा रेडी और न्यायाधीश सुधीर सिंह की कोर्ट ने सीबीआइ से पूछा है कि आखिर वह किस प्रकार के मामलों की जांच करती है. कोर्ट ने कहा कि धान खरीद घोटाले की जांच राज्य सरकार की एजेंसी से निष्पक्ष संभव नहीं है. सीबीआइ को खुद आगे बढ़ कर इस मामले को लेना चाहिए था.
पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सीबीआइ को विस्तार से हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा था कि वह इस मामले की जांच स्वीकारती है या नहीं. मंगलवार को लंच के पहले जब कोर्ट के समक्ष सीबीआइ के वकील विपिन कुमार सिन्हा ने हलफनामा दायर किया तो कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुई.
कोर्ट ने सीबीआइ को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर इतना बड़ा मामला है. सीबीआइ को खुद इसकी जांच लेनी चाहिए थी. कोर्ट ने तत्काल बिहार-झारखंड सर्किल के डीआइजी, एंटी करप्शन बीके सिंह को तलब किया. लंच के बाद जब कोर्ट बैठी तो डीआइजी हाजिर हुए.
उन्होंने कोर्ट को बताया कि बिहार में मैन पावर कम है. इस कारण इंटर स्टेट मामलों की जांच को प्रमुखता दी जाती है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच सरकार के अधिकारी निष्पक्ष रूप से नहीं कर सकते. इसके लिए केंद्रीय एजेंसी ही जरूरी है. 14 सौ करोड़ से अधिक का घोटाला है. कोर्ट ने छह मई को इसकी अगली सुनवाई निर्धारित की है. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की अोर से कोर्ट को बताया गया कि धान खरीद के इस मामले में बड़े पैमाने पर मुकदमा दायर किये गये हैं. ग्राम पंचायत के मुखिया और अफसरों को भी अभियुक्त बनाया गया है.
गौरतलब है कि संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना और काम के बदले अनाज योजना को खत्म करने के बाद इस योजना के तहत लोगों को दी जानेवाली धान और चावल लौटाने के मामले में बड़े पैमाने में गड़बड़ी उजागर हुई है. यह मामला हाइकोर्ट के समक्ष लाया गया है. कोर्ट ने संकेत दिया है कि 14 सौ करोड़ से अधिक की इस गड़बड़ी मामले में वह सीबीआइ जांच के आदेश दे सकती है.
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