संवाददाता, पटनाएमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेचने के मामले में कुछ शराब कारोबारियों का कहना है कि जब तक कमीशनखोरी और अवैध वसूली बंद नहीं होगी, तब तक शराब लिखित एमआरपी पर नहीं मिलेगी. इसके लिए सरकारी स्तर पर पूरी मशीनरी को दुरुस्त करने की जरूरत है. जब कमीशन ‘ऊपर’ तक और विभागीय पदाधिकारियों की मिली-भगत रहती है, तो ऐसे में यह कैसे रुकेगा. कमीशनखोरी की शुरुआत एजेंसी से ही हो जाती है. खुदरा दुकानदारों को होलसेल में ही कुछ बढ़ा कर देना पड़ता है. वह भी विदेशी शराब के ब्रांड और इसकी मांग पर निर्भर करता है. देसी शराब की भी स्थिति कुछ ऐसी ही है. इसके बाद दुकानदारों से स्थानीय थाना और कुछ खास नामचीन लोगों का भी कोटा बंधा होता है. इन सभी अवैध कमाई का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा मिलाकर एक मुश्त ग्राहकों से लिया जाता है. नतीजा शराब में जोरदार अवैध वसूली का कारोबार बिना रोक-टोक के चलता रहता है. इससे मिलने वाला पूरा ‘ब्लैक रेवेन्यू’ इससे जुड़े करोबारियों, ठेकेदारों और रहनुमाओं तक बिना किसी हिसाब-किताब के पहुंचता रहता है. न यह किसी कागज पर दर्ज होता है और न ही इसका कोई कहीं हिसाब होता है. 21 अप्रैल को होगी विभागीय बैठकउत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव राहुल सिंह 21 अप्रैल को शराब की कीमत और इससे जुड़े अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय पदाधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे. इसमें सभी जिला से उत्पाद पदाधिकारी समेत अन्य स्तर के प्रमुख पदाधिकारियों को बुलाया गया है.
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कमीशनखोरी बंद नहीं होगी, तब तक नहीं मिलेगी एमआरपी पर शराब
संवाददाता, पटनाएमआरपी से अधिक मूल्य पर शराब बेचने के मामले में कुछ शराब कारोबारियों का कहना है कि जब तक कमीशनखोरी और अवैध वसूली बंद नहीं होगी, तब तक शराब लिखित एमआरपी पर नहीं मिलेगी. इसके लिए सरकारी स्तर पर पूरी मशीनरी को दुरुस्त करने की जरूरत है. जब कमीशन ‘ऊपर’ तक और विभागीय पदाधिकारियों […]
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