इसके लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाने की जरूरत है. इसमें एम्स, पटना, आरएमआरआइ, पीएमसीएच और एसकेएमसीएच (मुजफ्फरपुर) के विशेषज्ञ दिमागी बुखार को रोकने के लिए संयुक्त रूप से काम व शोध करेंगे. लेकिन यह भी जरूरी है कि लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक किया जाये और लक्षण के मुताबिक तत्काल इलाज शुरू हो. उन्होंने विभाग के पदाधिकारी व शोध करनेवाले डॉक्टरों से कहा कि आप ऐसी व्यवस्था करें कि एक भी बच्च इसकी चपेट में न आएं.
मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया कि एम्स पटना के निदेशक ने दिमागी बुखार के बारे में जो बातें सामने रखी हैं, उनकी जानकारी आम आदमी के बीच पहुंचायी जाये. मरीजों समय रहते उसे अस्पताल पहुंचाया जाये और विकलांग लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाये. एम्स, पटना के निदेशक डॉ जीके सिंह ने कहा कि बीमारी रोकने के लिए फीको ओरल संक्रमण रोकना होगा. खुले में शौच से बचना होगा और इसके बाद हाथ धोना बेहद जरूरी है. कच्ची सब्जियों और फलों को खाने से पहले पोटाश के पानी से धोएं , तो बीमारी पर नियंत्रण रखा जा सकता है. इसके अतिरिक्त वेक्टर कंट्रोल भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि रोकथाम के लिए बिहार और यूपी मिल कर काम करें, तो नतीजे बेहतर आ सकते हैं. इस बीमारी का फैलाव यूपी में भी है.
श्री सिंह ने कहा कि अस्पताल से मरीज की दूरी बढ़ने के साथ-साथ मृत्यु दर भी बढ़ती जाती है. लिहाजा एम्स की माइक्रो मैपिंग की मदद से उन लोकेशन पर एंबुलेंस की उपलब्धता जरूरी है , जहां इस बीमारी के रोगियों की संख्या अधिक हैं. कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव धर्मेद्र गंगवार, जी पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख सचिव शिशिर सिन्हा, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रमुख सचिव व्यासजी, स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्र, स्वास्थ्य सचिव आनंद किशोर, पीएमसीएच अधीक्षक डॉ लखींद्र प्रसाद सहित पटना, गया, मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी समेत स्वास्थ्य विभाग के सभी पदाधिकारी मौजूद थे.