संवाददाता, पटना जदयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण बिल पर विवादों का सामना कर रही केंद्र सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई तरह की कहानियां गढ़ रही हैं. उसी का परिणाम है कि प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों पर मुआवजे का मरहम की तरह प्रधानमंत्री का कहना है कि प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने पर किसानों को 50 फीसदी अधिक मुआवजा दिया जायेगा. इसके अलावा मुआवजा पाने के लिए पात्रता के नियम भी नरम कर दिये गये हैं. अभी तक खड़ी फसल का 50 फीसदी हिस्सा बरबाद होने पर ही मुआवजा मिलता था, लेकिन अब 33 फीसदी फसल बरबाद होने पर भी किसान मुआवजे के हकदार होंगे. उन्होंने काह सरकार हमेशा की तरह इस मामले में भी किसानों से चिटिंग करने से बाज नहीं आ रही है. सरकार ने मुआवजे की रकम में बढ़ोतरी की है, लेकिन नुकसान के अपने पूर्व के आकलन को घटा दिया है. पहले 1.8 करोड़ हेक्टेयर में नुकसान का अनुमान लगाया गया था, लेकिन अब तक इसे घटा कर 1.06 करोड़ हेक्टेयर कर दिया गया है और आगे 85 लाख हेक्टेयर पर समेटा जा सकता है. उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा सवाल किसानों को समय पर मिलने वाली राहत को लेकर है क्योंकि एक तरह जहां स्थानीय स्तर पर नुकसान के जायजे में गड़बडि़यां होती हंै, वहीं दिल्ली से चला मुआवजा कई मंत्रालयों के चक्कर काटता जब तक किसानों तक पहुंचता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.
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फसल मुआवजा की घोषणा सिर्फ जुमला है : नीरज
संवाददाता, पटना जदयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद नीरज कुमार ने कहा है कि भूमि अधिग्रहण बिल पर विवादों का सामना कर रही केंद्र सरकार किसानों को लुभाने के लिए कई तरह की कहानियां गढ़ रही हैं. उसी का परिणाम है कि प्राकृतिक आपदा झेल रहे किसानों पर मुआवजे का मरहम की तरह प्रधानमंत्री का […]
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