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महज 73 आरा मिलें ही चल रही हैं पटना और बाढ़ में

पटना: कभी पटना और बाढ़ में सर्वाधिक आरा मिलें होती थीं, किंतु आज हाल यह है कि वन विभाग के इन दोनों जिलों में महज 73 आरा मिलें ही चल रही हैं. दोनों जिलों में आरा मिल खोलने के लिए वन विभाग में बड़ी संख्या में आवेदन दिये जा रहे हैं, किंतु अधिकतर आरा मिल […]

पटना: कभी पटना और बाढ़ में सर्वाधिक आरा मिलें होती थीं, किंतु आज हाल यह है कि वन विभाग के इन दोनों जिलों में महज 73 आरा मिलें ही चल रही हैं. दोनों जिलों में आरा मिल खोलने के लिए वन विभाग में बड़ी संख्या में आवेदन दिये जा रहे हैं, किंतु अधिकतर आरा मिल खोलने के लिए दिये गये आवेदन विभाग के मानक पर खरे नहीं उतर रहे हैं.

दोनों जिलों में आरा मिल चलाने के लाइसेंस के लिए इस बार 123 आवेदन आये, जिनमें 73 आवेदन ही मानक को पूरा कर रहे थे. 50 आरा मिलों के लाइसेंस के आवेदन विभाग ने सिर्फ इसलिए रद्द कर दिये, क्योंकि उन्हें खोलने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अनापत्ति प्रमाणपत्र आवेदक ने नहीं दिया था.

बाढ़ जिले में तो कई आवेदन ऐसे भी आये, जिनमें भूमि विवाद का मामला कोर्ट में चल रहा है. यही नहीं, लाइसेंस के लिए आवेदन में जिस जगह का उल्लेख किया गया, वहां जगह ही स्थल निरीक्षण करने गयी टीम को नहीं मिली. आरा मिल लाइसेंस के 20 प्रतिशत आवेदन इसलिए खारिज कर दिये गये, क्योंकि इनके उद्यमियों ने आवेदन के साथ भूखंड का कोई अभिलेख संलग्न ही नहीं किया था.

पटना और बाढ़ की जिन 50 आरा मिलों को लाइसेंस नहीं मिले, उनमें 900 कर्मचारी काम कर रहे थे. आरा मिल बंद होने के कारण 900 कामगारों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ की आरा मिल में लकड़ी चिरान का काम करनेवाले युगेश्वर गोप इन दिनों मेलों में चौकी, लकड़ी के खिलौने और बच्चों के घरौंदे बेच रहे हैं. पटना सिटी एक आरा मिल का लाइसेंस रिन्यूल न होने से वहां काम कर रहे रत्नेश कुशवाहा इन दिनों गोलगप्पा और चाट की दुकान चला रहे हैं.

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