फोटो – डायन प्रथा निषेध अधिनियम पर गांधी संग्रहालय में सेमिनार- पीडि़त महिलाओं ने रखी अपनी बात संवाददाता, पटनानवादा जिले के डोमन गांव की 55 वर्षीया मीना देवी ने काफी जुल्म सहे हैं. उन्हें डायन कह कर बहुत प्रताडि़त किया गया. उनके चेहरे पर आज भी खौफ दिखता है. मीना देवी अकेली नहीं, जिन्हें डायन के नाम पर सताया गया है. पार्वती देवी, संजू देवी, सोनिया देवी, माला देवी,देवंती देवी आदि भी इसी फेहरिस्त के हिस्सा हैं. गुरुवार को गांधी संग्रहालय में बिहार वीमेंस नेटवर्क की ओर से डायन प्रथा निषेध अधिनियम पर सेमिनार का आयोजन किया गया, जहां डायन के नाम पर प्रताडि़त महिलाओं ने अपनी आपबीती बतायी. नेटवर्क की सदस्या शिवानी ने बताया कि आज इंटरनेट युग में भी लोग इस अंधविश्वास में जकड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि बिहार वीमेंस नेटवर्क की ओर से डायन प्रथा निषेध अधिनियम 1999 पर कार्य किया जा रहा है तथा डायन कह कर प्रताडि़त की जा रही महिलाओं को न्याय दिला रहा है.नेटवर्क की सह संयोजिका नीलू ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 2009 में 165 मामले में मात्र छह मामले थाना में दर्ज किये गये हैं. वहीं 2010-11 में इसकी संख्या 130 रही, जबकि थाना में दर्ज मामले छह ही रहे. 2011-12 में 189 मामले में 177 केस ऐसे रहे, जो रजिस्टर्ड नहीं किये गये थे. 2012-13 में 150 में से दो और 2014-15 में 398 में 187 केस रजिस्टर्ड किये गये हैं. इनमें 22 मामले न्यायालय में लंबित हैं. उन्होंने बताया कि डायन प्रथा अधिनियम का उल्लंघन हो रहा है. लोगों के सोच में बदलाव लाने की जरूरत है. पुलिस को भी इस अधिनियम की जानकारी नहीं हैं.
थाने तक नहीं पहुंच रहे पीडि़ताओं के मामले
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