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केंद्र पर बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं नीतीश : मोदी

पटना: नीतीश कुमार केंद्र सरकार से झगड़ते हुए अपना छह माह पूरा करना चाहते हैं. उन्हें मालूम है कि वे जनता से किये गये अपने किसी वायदे को पूरा नहीं करा पायेंगे. यही वजह है कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा को ले कर वे लगातार भ्रामक प्रचार कर रहे हैं. वे कह रहे […]

पटना: नीतीश कुमार केंद्र सरकार से झगड़ते हुए अपना छह माह पूरा करना चाहते हैं. उन्हें मालूम है कि वे जनता से किये गये अपने किसी वायदे को पूरा नहीं करा पायेंगे. यही वजह है कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा को ले कर वे लगातार भ्रामक प्रचार कर रहे हैं.

वे कह रहे हैं कि 14 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर पांच वर्षो में बिहार को 55 हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा, जबकि हकीकत यह है कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के तहत बिहार को पहले से दो लाख, 15 हजार करोड़ रुपये अधिक मिलेंगे. उक्त बातें मंगलवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कही.

उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा है कि अन्य मुख्यमंत्रियों के साथ राष्ट्रीय विकास परिषद की हर बैठक में लगातार वे यह मांग नहीं करते रहें कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ायी जाये? केंद्र प्रायोजित योजनाओं की संख्या घटाने और उसकी राशि राज्यों को दिये जाने की मांग क्या उन्होंने नहीं की थी? केंद्र पर बेबुनियाद आरोप लगा कर वे जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने पूछा है कि बिहार अब-तक क्या केंद्र सरकार की कतिपय कड़ी शर्तो के कारण केंद्र प्रायोजित योजनाओं की 60 प्रतिशत से अधिक राशि ले पाया है? क्या केंद्र की शर्तो को पूरा नहीं कर पाने के कारण ही वर्ष 2012-13 और वर्ष 2013-14 में केंद्र प्रायोजित योजनाओं की प्रति वर्ष पांच हजार करोड़ से ज्यादा की राशि लैप्स नहीं कर जाती थी? क्या अब राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं की कड़ी शर्तों से निजात नहीं मिलेगी? क्या राज्यों को अब अपनी जरुरतों के अनुसार अपनी योजनाओं की प्राथमिकता तय करने और लागू करने की स्वतंत्रता नहीं रहेगी? क्या यह सही नहीं है कि अब बिहार को केंद्रीय करों में उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक 3,81,394 करोड़ रुपये मिलेंगे?

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