* सवा लाख बेलपत्र व पांच किलो मधु का भी होगा उपयोग
* फूल व लाइट से जगमगाया मंदिर परिसर
* पुलिस भी रहेगी चौकस
पटना : तीसरी सोमवारी को लेकर मंदिर में विशेष पूजा–अर्चना की तैयारी की गयी है. महावीर मंदिर, बोरिंग रोड मंदिर, खाजपुरा मंदिर सहित राजधानी के 20 मंदिरों में भक्त जलाभिषेक करेंगे. महावीर मंदिर में 44 लोग रुद्रभिषेक व जलाभिषेक करेंगे. इसके अलावा राजधानी के अन्य मंदिरों में सुबह सिर्फ पुजारी रुद्राभिषेक करेंगे. उसके अलावा वहां आम लोग भगवान शंकर का दर्शन कर जलाभिषेक करेंगे.
बोरिंग रोड चौराहा स्थित शिव मंदिर में जलाभिषेक में तीन क्विंटल दूध, सवा लाख बेलपत्र, पांच किलो मधु, 10 तरह के फूल, सात किलो भभूत सहित अन्य पूजा की सामग्री से भगवान शंकर को भक्त प्रसन्न करेंगे. रात्रि में शिव–पार्वती का श्रृंगार होगा, जिसमें आम लोग भाग ले सकेंगे.
महावीर मंदिर के शोध एवं प्रकाशन पदाधिकारी भवनाथ झा ने बताया कि सुबह पांच बजे से जलाभिषेक शुरू हो जायेगा, जो दोपहर ग्यारह बजे तक चलेगा. उसके बाद आरती होगी और 44 रुद्राभिषेक होगा. इन सभी रुद्राभिषेक के लिए पहले से लोगों ने राशि जमा की है. वहीं खाजपुरा मंदिर के प्रमुख पुजारी धनंजय उपाध्याय का कहना है कि सुबह चार बजे मंगला आरती, 4.30 बजे जलाभिषेक व भक्तों के लिये मंदिर का द्वार खुलेगा. ग्यारह बजे भोग, 6.15 मंदिर की सफाई, 6.30 शिव का श्रृंगार, 6.45 आरती, शाम साढ़े सात से दस बजे तक दर्शन उसके बाद पट बंद हो जायेगा.
शाम साढ़े सात बजे से 12 बजे रात तक शास्त्रीय संगीत व लोक गीत का कार्यक्रम. उधर, बोरिंग रोड चौराहा स्थित शिव मंदिर के प्रमुख पुजारी मधुसूदन त्रिवेदी का कहना है कि सुबह चार बजे आरती, 4.30 बजे से भक्तों के लिए पूजा शुरू, ग्यारह बजे जलाभिषेक व रुद्राभिषेक , शाम 7.30 में आरती, पूजा रात ग्यारह बजे तक चलेगा.
* तीसरी सोमवारी का महत्व
जिस सावन में पांच सोमवार पड़ता है, उसमें तीसरी सोमवारी का विशेष महत्व होता है, लेकिन इस बार चार सोमवार है इसलिए दूसरी व अंतिम सोमवारी का विशेष महत्व रहता है. चौथी सोमवारी का महत्व इसलिए भी विशेष है. क्योंकि 19 तारीख पड़नेवाली अंतिम सोमवार चतुर्थदशी तिथि भी है, जो महादेव की तिथि है. हर तिथि किसी एक भगवान के नाम पर है जिसके अनुसार 14वीं तिथि देवता शंकर का है. जो व्यक्ति सोमवारी को पूजा कर भगवान भोले को खुश रखना चाहते हैं, वो अंतिम सोमवारी कर शंकर को खुश कर सकते हैं.
* नागपंचमी पर नागों की पूजा–अर्चना
पटना सिटी त्न रविवार को भक्तों ने नागपंचमी पर नागों की पूजा–अर्चना की. दुर्लभ संयोग से सजे सावन माह के शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि को मनायी जानेवाली नागपंचमी पर ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि पंचमी तिथि रविवार को पड़ने व हस्त नक्षत्र के अद्भुत संयोग के कारण अमृत योग बना है. इस योग में भगवान शिव के आभूषण नागों के पूजन से सर्पदंश का भय समाप्त होता है.
भगवान शिव प्रसन्न होकर सुख – समृद्धि प्रदान करते हैं. नाग देवता की पूजा– अर्चना का अनुष्ठान संपन्न होने के बाद लावा व दूध अर्पित किया गया. इस मौके पर जीवित नाग के दर्शन की परंपरा है. चौक स्थित तिलकेश्वरनाथ मंदिर में शाम को जीवित नाग का दर्शन भक्तों को कराया गया. दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी थी. इधर, सपेरों की टोलियां भी लोगों को नाग का दर्शन करा रही थीं. नागपंचमी को लेकर शिव मंदिरों में पुष्प पंखुड़ियों से शिव का विशेष श्रृंगार किया गया और पूजा– अर्चना की गयी.