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हमारी लोक संस्कृति सूर्य पर केंद्रित : मृदुला सिन्हा

— दिनेश चंद्र शुक्ल स्मृति व्याख्यान में बोलीं गोवा की राज्यपालसंवाददाता,पटना गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि सूर्य के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. हमारी लोक संस्कृति पूरी तरह से सूर्य पर केंद्रित है. हर जगह सूर्य की जरूरत है. जहां भी जीवन है, वहां सूर्य है […]

— दिनेश चंद्र शुक्ल स्मृति व्याख्यान में बोलीं गोवा की राज्यपालसंवाददाता,पटना गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने कहा कि सूर्य के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है. हमारी लोक संस्कृति पूरी तरह से सूर्य पर केंद्रित है. हर जगह सूर्य की जरूरत है. जहां भी जीवन है, वहां सूर्य है और जहां सूर्य है, वहां जीवन है. दोनों में अन्योन्याश्रय संबंध है. वह बुधवार को वातायन द्वारा आयोजित प्रथम दिनेश चंद्र शुक्ल स्मृति व्याख्यान ‘ लोक जीवन में सूर्य ‘ विषय को संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि वेद में सूर्य को जगत की आत्मा कहा गया है. समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है. सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है. यह आज एक सर्वमान्य सत्य है. वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता-धर्ता मानते थे. सूरज के महत्व को बताने के लिए विभिन्न गीतों में इस आशय को पिरोया गया है. बच्चे के जन्म का अवसर एक संस्कार है. पूजा विधि में जन्मजात शिशु को मां की गोद में निहारती हुई सास पूछती है. ‘बहू जी कौन-कौन व्रत कइली बालक बड़ा सुंदर. बहू का जवाब है कार्तिक मास गंगा नहइली, सूरज गोर लागली,सासु व्रत कइली इतवार, बालक बड़ा सुंदर.’लोकगायिका पद्मश्री शारदा सिन्हा ने सूर्य के मंगलकारी गीत की बानगी प्रस्तुत की. पद्मश्री उषा किरण खान ने कहा कि मृदुला सिन्हा लोक जीवन की उत्कृष्ट लेखिका हैं. अध्यक्षता केपी जायसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक जगदीश्वर पांडेय ने की. उन्होंने कहा कि समस्त कार्यों में सूर्य को मंगल का प्रतीक माना जाता है. मौके पर डॉ शांति जैन व वातायन के निदेशक राजेश शुक्ल मौजूद थे.

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