पटना: राज्य के गरीब परिवारों को मिलनेवाला मुफ्त कैशलेस इलाज की सुविधा 31 जिलों में शुरू नहीं हो सकी है. इस योजना के तहत करीब डेढ़ करोड़ परिवारों को बीमा के तहत मुफ्त इलाज की सुविधा देना है. श्रम संसाधन विभाग के मंत्री के बदलने के साथ ही विभाग की प्राथमिकता भी बदल गयी है.
राज्य में अभी तक सिर्फ सात जिलों में ही यह योजना के तहत लाभार्थियों का हेल्थ कार्ड बनाने का काम शुरू हो सका है. इसमें भोजपुर, कैमूर, कटिहार, नालंदा, पूर्णिया, सीतामढ़ी और सीवान जिला शामिल हैं.
राज्य में बीपीएल परिवार, बीडी कामगार, निर्माण मजदूर, रेलवे कुली, घरेलू नौकर सहित मनरेगा में रोजगार करनेवाले सभी मजदूरों का राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा (आरएसबीवाइ) के तहत हेल्थ कार्ड का निर्माण कार्य बनवाया जाना है.
हेल्थ कार्ड के निर्माण के अगले माह से ही लाभार्थियों को सलाना 30 हजार रुपये का मुफ्त और कैशलेस इलाज की सुविधा निबंधित निजी व सार्वजनिक अस्पतालों में मिलने लगेगी. मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने इस योजना की रिलांचिंग पांच जनवरी को की थी. पहली फरवरी से कार्ड निर्माण का लक्ष्य रखा गया था, जबकि इसका लाभ पहली मार्च से शुरू करना था. चार इंश्योरेंश कंपनियों के साथ एमओयू भी कर लिया गया है. बीमा कंपनियों को निर्देश दिया गया था कि योजना के तहत कार्ड निर्माण के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करें. योजना के तहत लाभार्थी के परिवार के पांच सदस्यों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जानी है. इलाज के लिए अस्पताल आनेवाले मरीजों को यातायात की राशि भी दी जायेगी.
हेल्थ कार्ड तैयार हो जाने के बाद लाभार्थी का अस्पताल में इलाज का पूरा खर्च, गर्भवती महिला की जांच, ऑपरेशन सहित पांच दिन की मुफ्त दवा मरीज को देना है. इसके अलावा बीड़ी मजदूरों को ओपीडी में इलाज कराने की छूट भी दी गयी है. करीब दो साल से बंद पड़ी इस योजना की गति धीमी होने से फरवरी के अंत तक निर्धारित 30 जिलों के लाभार्थियों के कार्ड निर्माण का लक्ष्य पूरा होना संभव नहीं है.