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घोषणाओं से बढ़ेगा 20 हजार करोड़ का बोझ

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने घोषणाओं की बड़ी-बड़ी झरी लगायी है. इसमें कुछ घोषणाएं लोगों के बड़ी राहत देने वाली अभी लग जरूर रही हैं, लेकिन इनका असर राज्य के बजट काफी पड़ेगा. इससे योजना का आकार छोटा होगा या कहे योजना मद में रुपये खर्च करने के लिए पैसे कम पड़ेंगे. अगर योजना […]

पटना: मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने घोषणाओं की बड़ी-बड़ी झरी लगायी है. इसमें कुछ घोषणाएं लोगों के बड़ी राहत देने वाली अभी लग जरूर रही हैं, लेकिन इनका असर राज्य के बजट काफी पड़ेगा. इससे योजना का आकार छोटा होगा या कहे योजना मद में रुपये खर्च करने के लिए पैसे कम पड़ेंगे. अगर योजना आकार छोटा हुआ, तो राज्य में विकासात्मक कार्यो की रफ्तार धीमी पड़ सकती है. नयी योजनाएं शुरू करने में काफी परेशानी होगी या बड़ी योजनाएं शुरू ही नहीं हो पायेंगी.

राज्य के आय के स्नेत सीमित हैं. ऐसे में अगर इस तरह के खर्च एकदम से बढ़ जायेंगे, तो वित्तीय स्थिति पर काफी प्रभाव पड़ेगा. हालांकि इसमें काफी बारीकी से मंथन करने की जरूरत है. इन बड़ी घोषनाओं के जरिये सपने पूरे करने के लिए आय के संसाधन को करीब डेढ़ गुणा बढ़ाने की जरूरत है. इसके लिए करीब 20 हजार 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार बढ़ेगा.

इससे घटेगा प्लान साइज
राज्य का जितना कुल आय का स्नेत होता है, उसमें नन प्लान (मसलन, वेतन, पेंशन, अनुदान, ब्याज की भरपायी समेत अन्य) के खर्चा काट देने के बाद, जो रुपये बचते हैं, उसे ही प्लान साइज पर खर्च किया जाता है. अगर कुल बजट आकार में नन-प्लान साइज ही बढ़कर 60-70 प्रतिशत हो जायेगा, तो प्लान के लिए काफी कम रुपये बचेंगे. इसका सीधा असर योजनाओं के क्रियान्वयन पर पड़ेगा. विकास के कार्य थमने की आशंका है. नए वित्तीय वर्ष में नन-प्लान साइज करीब 70 हजार करोड़ रखा गया है. इसमें 20 हजार 600 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी होने पर यह 90 हजार करोड़ से ज्यादा हो जायेगा.
ऐसे बढ़ेगा गैर योजना खर्च का बोझ
शिक्षकों के वेतनमान पर 10 हजार करोड़
नियोजित शिक्षकों को वेतनमान देने की घोषणा की संभावाना है. हालांकि शिक्षकों को कितना वेतनमान मिलेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं हुआ है. अगर इनके वेतनमान में औसतन 20 हजार की भी बढ़ोतरी होती है, तो करीब साढ़े तीन लाख शिक्षकों को वेतन देने के लिए 10-11 हजार करोड़ रुपये सालाना सिर्फ वेतन मद में चला जायेगा. अगर वेतनमान इससे ज्यादा हुआ, तो इसमें भी बढ़ोतरी होगी.
मुफ्त बिजली पर 10 हजार करोड़
राज्य में किसान परिवारों की कुल संख्या 1.25 करोड़ है. इसमें करीब 98 फीसदी या 1.22 करोड़ किसान ऐसे हैं, जिनके पास पांच एकड़ या इससे कम जमीन है. अगर इन्हें बिजली मुफ्त दी जाती है, तो इससे करीब 10 हजार करोड़ का बोझ बढ़ेगा. अगर एक किसान रोजाना कृषि कार्यो के लिए औसतन 10 यूनिट बिजली की खपत करता है, तो 1.22 करोड़ परिवार रोजाना 12.20 करोड़ यूनिट रोजाना की खपत होगी. अगर बिजली की औसत लागत प्रति यूनिट 2.50 रुपये भी मान की जाये, तो इस पर रोजाना करीब 30.5 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इस तरह महीने में 915 करोड़ रुपये महीना और सालाना करीब 10 हजार करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा.
यंत्र अनुदान का व्यापक असर नहीं
वर्तमान में कृषि सब्सिडी पर सालाना 2400 करोड़ रुपये सरकार खर्च कर रही है. इसमें कृषि यंत्र, बीज, खाद, डीजल समेत अन्य तरह के पदार्थो पर मिलने वाले अनुदान शामिल हैं. अगर एससी-एसटी किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान की सीमा बढ़ाकर 80 फीसदी कर दी गयी है, तो इसका असर पड़ेगा. परंतु एससी-एसटी वर्ग के किसान काफी कम संख्या में कृषि यंत्रों की खरीद करते हैं, तो इसका बहुत व्यापक असर नहीं पड़ेगा.
विधायक फंड बढ़ने का असर
राज्य सरकार विधायक फंड को दो से बढ़ाकर चार करोड़ करने जा रही है. इसकी पूरी तैयारी कर ली गयी है. कैबिनेट की मुहर इस पर लगनी बाकी है. हालांकि अभी इसकी अधिसूचना जारी होना बाकी है. अगर यह होता है, तो इससे 600-700 करोड़ रुपये सालाना का बोझ बढ़ेगा.
वर्तमान वित्तीय स्नेत की स्थिति
राज्य में वर्तमान वित्तीय स्नेतों में केंद्रीय कर में राज्य की हिस्सेदारी से प्राप्त होने वाले रुपये, वित्त आयोग से आवंटन और राज्य के आंतरिक टैक्स स्नेत (मसलन, वाणिज्य कर, खनन, परिवहन समेत अन्य) प्रमुख हैं. इसमें इस वर्ष केंद्रीय टैक्स में राज्य की हिस्सेदारी 41 करोड़ रुपये प्राप्त होना था, लेकिन अभी तक महज 30 हजार करोड़ रुपये ही आये हैं. केंद्र की इस कटौती का असर भी यहां के योजना आकार पर पड़ता है. इसके अलावा राज्य के आंतरिक स्नेत से करीब 29 हजार करोड़ रुपये एकत्र करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें अभी तक 25 हजार करोड़ रुपये आ चुके हैं. फिर भी चार हजार करोड़ रुपये का गैप है. इस तरह के छोटे गैप के कारण राज्य का बजट प्रभावित हो सकता है.
इससे स्नेत बढ़ने की उम्मीद
बिहार समेत तमाम राज्य वित्त आयोग से केंद्रीय शेयर में हिस्सेदारी को 32 प्रतिशत से बढ़ा कर 40 प्रतिशत करने की मांग कर चुके हैं. इसमें बढ़ोतरी होकर 35-38 प्रतिशत होने की संभावना है. इससे राहत मिल सकती है. सबसे बड़ी चुनौती आंतरिक स्नेतों को बढ़ाना होगा.
वित्तरहति शिक्षक व कर्मियों के वेतन पर खर्च होंगे सालाना 105 करोड़ रुपये
मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को घोषणा के बाद वित्त रहित माध्यमिक स्कूलों के शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों को साढ़े 10 से 11 हजार रुपये प्रति महीने का वेतन मिल सकेगा. सूबे में ऐसे 715 माध्यमिक स्कूल हैं जिनका सरकारीकरण होगा और उसके करीब 8000 शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारियों को नियोजित शिक्षकों के आधार पर वेतन दिया जायेगा. वर्तमान में माध्यमिक स्कूल के नियोजित शिक्षकों में ट्रेंड को 11 हजार और अनट्रेंड को साढ़े 10 हजार रुपये दिये जाते हैं. ऐसे वित्त रहित शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों को सालाना करीब 101 करोड़ रुपये से ले कर 105.60 करोड़ रुपये खर्च होंगे. फिलहाल इन वित्त रहित स्कूलों के शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों के सालाना अनुदान की राशि दी जाती है. अनुदान की राशि देने से पहले यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट आना जरूरी होता है और उसी के आधार पर राशि दी जाती है. 2008 से अनुदान की राशि देने की शुरुआत हुई. 2008 के लिए इन शिक्षक-शिक्षकेतर कर्मचारियों को 2011 में, 2009 का अनुदान 2012 में और 2010 का अनुदान इस साल दिया जा रहा है. इसमें शिक्षा विभाग को 282 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं.
पंचायत रोजगार सेवकों की सेवा का होगा समायोजन
पटना. पंचायती राज विभाग में पंचायत रोजगार सेवक, पंचायत तकनीकी सहायक और जूनियर इंजीनियरों की सेवा का समायोजन करते हुए स्थायी रूप से नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि नव नियुक्त पंचायतीराज मंत्री नीतीश मिश्र ने इसका प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश विभाग को दिया है. उम्मीद जतायी जा रही है कि शुक्रवार को कैबिनेट की बैठक में इसकी मंजूरी दी जायेगी. सूबे में मनरेगा योजनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए आठ हजार 402 पंचायतों में पंचायत रोजगार सेवक की नियुक्ति की गयी है. इसके अलावा हर प्रखंड में एक-एक पंचायत तकनीकी सहायक और एक-एक जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति की गयी है.
विधायक फंड चार करोड़, बेरोजगारी भत्ता व न्यायमित्रों का मानदेय बढ़ाने की तैयारी
जीतन राम मांझी सरकार ने बजट सत्र के पूर्व ही कई अन्य लोकप्रिय घोषणाओं में जुट गयी है. श्रम संसाधन विभाग के प्रभारी मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह ने अधिकारियों को स्नातकों को बेरोजगारी भत्ता व युवाओं को लैपटॉप देने का प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया. इधर ग्रामीण विकास सह पंचायती राज के प्रभारी मंत्री नीतीश मिश्र न्याय मित्रों का मानदेय 2500 रुपये से छह हजार करने की तैयारी कर ली है. उधर, योजना विकास विभाग के प्रभारी मंत्री सम्राट चौधरी ने विधायकों को दो करोड़ की जगह चार करोड़ खर्च की अनुशंसा का अधिकार देने के प्रस्ताव पर मंथन शुरू कर दिया है.
नये मंत्रालय मिलने के बाद श्रम संसाधन मंत्री महाचंद्र प्रसाद सिंह गुरुवार को विभाग पहुंचे. उन्होंने अधिकारियों के साथ वार्ता के बाद ग्रेजुएट विद्यार्थियों को पांच साल तक एक-एक हजार रुपये प्रति माह बेरोजगारी भत्ता देने का प्रस्ताव तैयार करने को कहा. इस निर्देश के बाद विभाग के पदाधिकारी इस कार्य का प्रस्ताव तैयार करने में जुट गये. बताया जाता है कि हर वर्ष 10 लाख विद्यार्थी स्नातक पास होते हैं. इनमें से हर वर्ष 25 फीसदी को रोजगार या स्वरोजगार मिलता है, तो इनकी संख्या को देखते हुए विभाग को सिर्फ एक योजना पर 3200 करोड़ व्यय करना होगा. यह माना जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा की संपूर्ण योजना का सालान बजट 2200 करोड़ का है. इसके अलावा उन्होंने युवाओं को लैपटॉप देने का प्रस्ताव तैयार करने का भी निर्देश दिया.
योजना विकास विभाग के प्रभारी मंत्री सम्राट चौधरी विधायक फंड को सलाना दो करोड़ की जगह चार करोड़ करने के प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं. विभाग की ओर से दो करोड़ की जगह तीन या चार करोड़ विधायकों की अनुशंसा पर खर्च करने का अधिकार दिये जाने की तैयारी है. यह उम्मीद जतायी जा रही है कि शुक्रवार को इस पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है.
इसके अलावा ग्रामीण विकास सह पंचायती राज मंत्री नीतीश मिश्र ने न्याय मित्रों का वेतनमान 2500 रुपये से बढ़ा कर छह हजार करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया है. वर्षो से न्याय मित्र संघ मानदेय वृद्धि को लेकर सरकार से मांग करता रहा है. उनकी मांगों पर नीतीश मिश्र ने सहमति दे दी है. कैबिनेट से इसकी मंजूरी मिलने के बाद वेतनमान छह हजार रुपये मिलने का रास्ता साफ हो जायेगा.
मंत्रियों ने क्या किया
मंत्री शाहिद अली खान ने लघु जल संसाधन विभाग के कार्यालय कक्ष में कई फाइलें देखी. फिलहाल वे अपनी विभाग के काम-काज को समझ रहे हैं. 16 फरवरी को होने वाली विभाग की बैठक की फाइल देखी और एजेंडा पर चर्चा की. मंत्री विभागीय पदाधिकारियों के सूबे में चल रही लघु जल संसाधन की विभिन्न योजनाओं की जानकारी ली. इसके बाद मंत्री विज्ञान व प्रावैधिकी विभाग भी गये. वहां कई फाइलों को उन्होंने निपटारा किया. नये पॉलिटेक्निक कॉलेजों को खोलने संबंधी फाइल पर भी उन्होंने सहमति प्रदान की.
शिक्षा मंत्री वृषिण पटेल ने सबसे पहले संसदीय कार्य विभाग में गये. वहां काम काज वे अवगत हुए और अधिकारियों के साथ बैठक की. संसदीय कार्य विभाग से मंत्री शिक्षा विभाग आये. यहां अधिकारियों से बैठकों का दौर शुरू हुआ. वित्तरहित माध्यमिक स्कूलों के सरकारी करण और उसके शिक्षकों-शिक्षकेतर कर्मचारियों को नियोजित शिक्षकों के समान वेतन पर सहमति बनी. जिसकी मुख्यमंत्री मांझी ने घोषणा की. नियोजित शिक्षकों के वेतनमान देने पर उन्होंने प्रधान सचिव से चर्चा की और उपरि स्तर पर प्रस्ताव भी तैयार हो रहा है, जिसे शुक्रवार के कैबिनेट में रखा जा सकता है. 35 फाइलों का निबटारा के साथ शिक्षा मंत्री ने पुस्तकालय अध्यक्ष, संगीत, कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति जल्द शुरू करने का निर्देश दिया और प्रारंभिक, माध्यमिक व प्लस टू में चल रही शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की भी समीक्षा की.
घोषणा असंवैधानिक : सदानंद सिंह
पटना. विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता सदानंद सिंह ने कहा कि सीएम जीतन राम मांझी की घोषणा असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि जब तक वह बहुमत हासिल नहीं करते हैं तब तक उन्हें कोई घोषणा नहीं करनी चाहिए. यह पूरी तरह से संविधान के खिलाफ है. सीएम हर दिन रूटीन कार्य कर सकते हैं, लेकिन पॉलिसी मैटर से संबंधित कोई घोषणा नहीं करनी चाहिए. नैतिकता भी यही कहती है. अभी अल्पमत की सरकार है. सीएम जीतन राम मांझी को बने रहने के लिए बहुमत हासिल करना है. बहुमत हासिल करने के बाद ही वह कोई घोषणा करने के लिए सक्षम हैं.
बिजली बिल माफ का फैसला सही : मंगल
पटना. जीतन राम मांझी सरकार ने पांच एकड़ में किसानों की बिजली बिल की माफी, वित्त रहित स्कूलों के सरकारीकरण और वित्त रहित शिक्षकेतर कर्मचारियों को नियोजित शिक्षक बनाने का फैसला समझदारी से लिया है. जो सरकार आज काम कर रही है, उसके द्वारा यह निर्णय लिया गया है. मांझी सरकार अल्पमत या बहुमत की सरकार है या नहीं. फैसले को नाजायज ठहराना उचित नहीं होगा. सरकार,तो सरकार है.
घोषणाओं का पप्पू ने किया स्वागत
पटना. राजद सांसद राजेश रंजन ऊर्फ पप्पू यादव ने मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी द्वारा नियोजित शिक्षकों और किसानों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है. मुख्यमंत्री की यह घोषणा स्वागत करनेवाली है. उन्होंने एससी-एसटी किसानों को 80 फीसदी सब्सिडी देने की घोषणा की है. इससे जाति नहीं जमात की मुख्यधारा में शामिल होने में मदद मिलेगी. इन सभी घोषणाओं को अविलंब कैबिनेट में मंजूर करा लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने गरीबी देखी है. यही कारण है कि किसानों के पास पांच एकड़ तक जमीन रहने पर बिजली मुफ्त करने की घोषणा की है. जब उन्होंने स्वतंत्र होकर काम करना शुरू किया तो परेशान किया जाने लगा. उनको अपदस्थ करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद को नसीहत दी कि अगर दलित वोट उनको छोड़ देगा तो उनके पास बचता क्या है.
नियम के विपरित काम : वशिष्ठ
पटना. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जीतन राम मांझी की सरकार नियम, नैतिकता, मर्यादा के विपरीत काम कर रही है. इस सरकार में जो भी काम हो रहा है. सब परंपरा के खिलाफ है. उन्हें सदन में बहुमत हासिल है, फिर भी वो घोषणाएं किये जा रहे हैं. जान रहे हैं कि जो घोषणाएं वो कर रहे हैं उसे उन्हें कभी पूरा करना नहीं है. उन्होंने कहा कि अब तो बात स्पष्ट हो गयी है कि जीतन राम मांझी को बिहार विधानसभा में बहुमत साबित करना है. ऐसे में वे फ्लोर टेस्टिंग नहीं होने तक सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं. कैबिनेट बुलाने से लेकर की जा रही घोषणाएं इसी का उदाहरण हैं. उन्हें अब सदन में बहुमत साबित करने की तैयारी करनी चाहिए, लेकिन वे मर्यादा का ख्याल नहीं कर रहे हैं.

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