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फोटोग्राफी में उनके नाम से जाना जाता था बिहार

कन्हैया भेलारीकृष्ण मुरारी किशन से 1976-77 में मेरी मुलाकात हुई थी. शुरुआती दिनों में वह साइकिल से चलते थे. एयरपोर्ट जाना और फिर आकर तसवीरें भेजना. गजब का साहस और धैर्य था. पत्रकारिता जगत में खासकर फोटोग्राफी में उनके नाम से बिहार जाना जाता था. हमने भी अपनी मैगजीन के लिए उनको अनुबंधित किया था. […]

कन्हैया भेलारीकृष्ण मुरारी किशन से 1976-77 में मेरी मुलाकात हुई थी. शुरुआती दिनों में वह साइकिल से चलते थे. एयरपोर्ट जाना और फिर आकर तसवीरें भेजना. गजब का साहस और धैर्य था. पत्रकारिता जगत में खासकर फोटोग्राफी में उनके नाम से बिहार जाना जाता था. हमने भी अपनी मैगजीन के लिए उनको अनुबंधित किया था. जब मैं द वीक पत्रिका से जुड़ा, तो उसके दक्षिण भारतीय प्रबंधन ने किशन का नाम लेते हुए कहा था कि यदि वह हमलोगों के साथ आ जायेंगे, तो पत्रिका अच्छी चल जायेगी. गहन बेहोशी में जाने के पहले तक वे अपने प्रोफेशन से जुड़े रहे. मेहनती थे. तसवीर राजनीति से जुड़ी हो या अन्य दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण, किशन ने कभी कोताही नहीं बरती. हाल के दिनों में उनके पैर में खराबी आ गयी थी. इसके बावजूद उनके काम करने की गति में कहीं से आंच नहीं आयी. फोटो जर्नलिस्ट थे, मृदुभाषी थे और खास यह कि गुस्सा नहीं करते थे. एक बार वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा से मुलाकात हुई. उन्होंने कहा कि फोटो आप सिर्फ किशन से ही लेना, वही एक फोटोग्राफर हैं. उन्होंने कहा था ‘बिहार का मतलब किशन और किशन का मतलब बिहार’. बिंदेश्वरी दूबे मुख्यमंत्री थे. उनके चिकन खाने की तसवीरें हिट थीं. उनका नहीं रहना एक बड़ी रिक्तता है. एमजे अकबर जैसे वरिष्ठ पत्रकार जब भी बिहार आते, किशन उनके साथ होते थे.

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