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सोनाली नींद खो गयी, सपनों के हंस उड़ गये

लाइफ रिपोर्टर@पटनास्थानीय साहित्यिक संस्था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद एवं स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयुक्त तत्वाधान में साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया. यह साहित्य उत्सव युवा कवि विजय पक्राश के एकल पाठ से शुरू हुआ. इस अवसर पर संगोष्ठी के अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्विवेदी ने गीतों के साथ साजिश चलने चलने की बात कहते […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनास्थानीय साहित्यिक संस्था भारतीय युवा साहित्यकार परिषद एवं स्टेशन राजभाषा कार्यान्वयन समिति के संयुक्त तत्वाधान में साहित्य उत्सव का आयोजन किया गया. यह साहित्य उत्सव युवा कवि विजय पक्राश के एकल पाठ से शुरू हुआ. इस अवसर पर संगोष्ठी के अध्यक्ष भगवती प्रसाद द्विवेदी ने गीतों के साथ साजिश चलने चलने की बात कहते हुए कहा कि सिर्फ मुक्तछंद कविता को ही समकालीन कविता क्यों कही जा रही है? क्या आज लिखे जा रहे गीत गजल समकालीन नहीं ? शुक्रवार को यह बातें रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी पुस्तकालय, राजेंद्र नगर टर्मिनल में सुनने को मिली. इस उत्सव के दौरान सिद्वेश्वर द्वारा संपादित विजय प्रकाश के नवगीत पुस्तिका का विमोचन किया गया. कार्यक्रम को खास मनाते हुए यहां विजय प्रकाश ने अपनी एक दर्जन से ज्यादा समकालीन गीतों का पाठ पढ़ा, जिसमें सोनाली नींद खो गयी, सपनों के हंस उड़ गये, रिश्तों के नर्म पांव में, विदेशी दंश उड़ गये.. सुन लोगों ने भरपूर तालियां बजायी. इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद अरुण शाद्वल ने कहा कि विजय प्रकाश के गीतों में आठवें-नवें दशक की अनुपम सौंदर्य बोध को देख रहा हूं. कार्यक्रम के दौरान कई कलाकारों ने अपने-अपने गजल पेश किये.

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