पटना : गांव–पंचायतों में शौचालय निर्माण के लिए सीधे लाभुकों को प्रोत्साहन राशि मुहैया करायी जायेगी. पंचायतों को कार्यकारी एजेंसी बना कर इस योजना को अंजाम दिया जायेगा.
ये बातें शनिवार को लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के प्रधान सचिव रवींद्र पवार ने पी एंड एम मॉल में बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन द्वारा ‘खुले में शौच से विमुक्त समुदाय की बढ़ोतरी और स्थिरीकरण’ पर आयोजित कार्यशाला में कहीं. उन्होंने कहा कि राज्य में खुले में शौच की प्रथा समाप्त करने के लिए जन–जागरूकता अभियान चलाया जायेगा.
शौचालय निर्माण की योजनाओं को सीधे तौर पर लाभुकों और पंचायतों से जोड़ा जायेगा. शौचालय निर्माण को मनरेगा से भी जोड़ा जायेगा. इससे शौचालय निर्माण का कार्य जल्द पूरा हो सकेगा. विभाग ने इस बाबत एक प्रस्ताव भी तैयार किया है. श्री पवार ने कहा कि पहले स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से शौचालय निर्माण का कार्य कराया जाता था. अब सरकार ने इसमें लाभुकों की सीधी सहभागिता तय की है.
ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय संचालित ‘निर्मल भारत अभियान’ की सफलता सुनिश्चत की जायेगी. उन्होंने कहा कि मेघालय व हिमाचल प्रदेश में खुले में शौच की प्रथा का उन्मूलन का अभियान सफल रहा है. वहां के अधिकारी बिहार के लोगों को प्रशिक्षण देंगे. कार्यशाला में मेघालय के उपायुक्त आकाशदीप व हिमाचल के पर्यटन निदेशक शुभाशीष पांडा ने प्रशिक्षुओं के बीच अपने अनुभव बांटे.
* ‘खुले में शौच से विमुक्त समुदाय की बढ़ोतरी और स्थिरीकरण’ पर कार्यशाला
पंचायतों को बनाया जायेगा कार्यकारी एजेंसी
* सुधार की जरूरत
कार्यशाला में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पीएमयू के निदेशक जावेद ने पावर प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि निर्मल भारत अभियान में बिहार में सुधार की जरूरत है. आईएचएचएल कार्यक्रम के तहत शौचालय निर्माण की प्रगति संतोषजनक नहीं है.
स्कूलों में 90, आंगनबाड़ी केंद्रों में 51, सैनिटरी कॉम्प्लेक्स में 42 और ग्रामीण सैनिटरी मार्ट में 91 प्रतिशत ही काम हुए हैं. बिहार में दो शौचालयोंवाले 46,079 व एक शौचालयवाले 1860 स्कूल हैं. संचालन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के मुख्य अभियंता एके श्रीवास्तव ने किया.