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निराश लौट रहे बच्चे, ललचा रहा झूला

पटना सिटी: किताबों का बोझ व इंडोर गेम में तक सीमित बचपन को बाहरी आबो हवा से पल्लवित- पुष्पित किया जा सके. इसके लिए वार्ड संख्या- 53 के गौरीशंकर मंदिर कॉलोनी में पार्क बनाया गया था . उद्घाटन के 25 दिनों के बाद भी पार्क में ताला जड़ा है. नतीजतन पार्क के नहीं खुलने से […]

पटना सिटी: किताबों का बोझ व इंडोर गेम में तक सीमित बचपन को बाहरी आबो हवा से पल्लवित- पुष्पित किया जा सके. इसके लिए वार्ड संख्या- 53 के गौरीशंकर मंदिर कॉलोनी में पार्क बनाया गया था . उद्घाटन के 25 दिनों के बाद भी पार्क में ताला जड़ा है. नतीजतन पार्क के नहीं खुलने से खेलने व झूला झूलने आ रहे बच्चे बाहर से ही टंगे झूले को देख कर निराश लौट रहे हैं.

यही स्थिति सुबह व शाम की सैर करने के लिए आनेवाले महिलाओं व पुरुषों की भी है, जो कॉलोनी की सड़कों पर चक्कर तो काटते हैं, लेकिन पार्क के अंदर नहीं जा पाते. बिहार राज्य पुल निगम की ओर से पार्क का निर्माण 36 लाख रुपये की लागत से कराया गया था. उद्घाटन 14 जून को तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री नंद किशोर यादव ने किया था.

बाहर कूड़ा, अंदर झूला

पार्क के अंदर बच्चों के लिए दो झूले, एक आर्च सेतु , स्लाइड (फिसलनेवाला) व टंगनेवाला झूला है. पार्क में खेलने के लिए स्थान और घूमने के लिए प्लेटफॉर्म का निर्माण भी हुआ है. पार्क को आम लोगों के लिए नहीं खोलने से लोग मायूस होकर लौट रहे हैं. इतना ही नहीं रोशनी के लिए पार्क में लाइट व दो वैपर लाइट भी लगाये गये हैं. है. सबसे दुखद पहलू यह है कि पार्क के प्रवेश द्वार सेसटा ही कूड़ा केंद्र है, जिससे उठती दरुगध के कारण सैर करनेवालों को मुश्किल होगी. पार्क की दीवारों को कलाकृतियों से सजाया गया है. इसमें विकसित बिहार को दरसाया गया है. हालांकि , पार्क में झरना व रोशनीयुक्त फव्वारों की सुविधा नहीं है. पार्क को खोलने की मांग राजद के प्रदेश सचिव अभय गोस्वामी ने सरकार से की है. ऐसा नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.

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