पटना: नगर निगम के आयुक्त के निलंबन की खबर जैसे ही आयी नगर निगम में गतिविधियां अचानक बढ़ गयी. कमिश्नर, मेयर से लेकर डिप्टी मेयर अपने चैंबर में थे और मेयर-डिप्टी मेयर के समर्थक पार्षद उनके आजू-बाजू. सबकी नजर टीवी की ओर थी और दूसरी आंख उभय पक्ष की गतिविधियों की ओर. अपने मतलब की खबर पर कह कहे और विरोध की बाइट पर अरे का बकवास कह रहा है जी. इनका तो काम ही यही है.
चाय पीओ. इसी बीच कमिश्नर प्रेस कांफ्रेंस के लिए मीडियाकर्मियों को सूचना देते हैं. पांच बजे का वक्त मुकर्रर होता है. कैमरों के साथ मीडियाकर्मी भी किसी बड़ी खबर की आस में पहुंचते हैं. लेकिन थोड़ी ही देर में नगर आयुक्त कुलदीप नारायण चिर परिचित भाव भंगिमाओं के साथ हाजिर होते हैं और कहते हैं कि हमें अभी तक कोई भी लेटर नहीं मिला है, सो पीसी कैंसिल. आधिकारिक सूचना मिलते ही बात करेंगे.
इधर जैसे ही पीसी कैंसिल होने की सूचना मेयर के चैंबर तक प्रसारित होती है, कार्यालय में भूूजा और चाय का फिर से ऑर्डर दिया जाता है. वहीं डिप्टी मेयर के चैंबर में पहले से ही चाउमिन के साथ टी पार्टी चल रही थी. काला अध्याय है यह साहब काला अध्याय, काम करनेवालों के साथ सरकार गलत कर रही है, यही प्रतिक्रिया डिप्टी मेयर रूप नारायण की ओर से मीडियाकर्मियों को मिलती है. इसके बाद मेयर का बुलावा आता है. इस कमिश्नर ने बेड़ा गर्क कर दिया पटना का. इन्हें तो सजा मिलनी ही थी, मुकदमा भी चलाया जाना चाहिए इन पर गांधी मैदान हादसे को लेकर. यही बाइट दी जाती है.