पटना: विधायक अस्पताल की हालत भी शहर के अन्य अस्पतालों की तरह ही है. फिलहाल, यहां चार डॉक्टर, तीन फार्मासिस्ट व एक ग्रेड ए नर्स तैनात हैं. लेकिन, मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह संख्या नाकाफी है.
इमरजेंसी के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है. स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी से योजना बना कर प्रस्ताव भेजने के लिए कहा था. एक साल पहले ही अस्पताल प्रभारी ने सिविल सजर्न को प्रस्ताव भेजा था, जिसमें मरीजों के लिए इंडोर व इमरजेंसी सुविधा बढ़ाने की बात कही गयी थी. साथ ही मरीज की बढ़ती संख्या को देखते हुए नये डॉक्टर, कर्मचारी, नर्स, एंबुलेंस, पारा मेडिकल स्टाफ आदि की नियुक्ति की मांग की गयी थी. लेकिन, अभी तक इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. इससे मरीजों को काफी परेशानी होती है.
रात में न आएं यहां
यहां इमरजेंसी की हालत काफी खराब है. इससे इलाज के लिए आनेवाले मरीजों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है. ओपीडी में मरीजों की संख्या डेढ़ सौ होती है, लेकिन डॉक्टर ओपीडी के बाद इमरजेंसी में बस खानापूर्ति करते हैं. रात में यदि कोई मरीज भूले-भटके आ जाता है, तो रेफर करने के लिए कोई डॉक्टर भी यहां नहीं होते. इससे उसे खुद दूसरे अस्पताल में जाना पड़ता है. एक साल पहले सिविल सजर्न ने विधायक अस्पताल में औचक निरीक्षण किया था, जिसमें डॉक्टर के साथ आठ सहयोगी ड्यूटी से नदारद मिले थे. सबसे स्पष्टीकरण मांगा गया था. उसके बाद माहौल थोड़ा बदला, लेकिन अब भी हालात पहले जैसे ही हैं.
अब नहीं आते हार्ट के डॉक्टर
डेढ़ साल पहले एक डॉक्टर आइजीआइसी से ओपीडी में सेवा देने के लिए रोज आते थे, लेकिन अचानक यह सुविधा बंद हो गयी. इससे हृदय रोगियों को आइजीआइसी जाना पड़ता है. जब यह सुविधा अस्पताल में थी, तो यहां की परची पर ही वहां इलाज हो जाता था. इस सुविधा को भी दोबारा शुरू करने की बात हो रही है. डॉक्टरों की एक टीम वहां काम करेगी.