फोटो हैसंवाददाता, पटना- भेजा प्रभु ने करले भजन तू वरना जोनी में तुझको जाना पडे़गा. – कलाई कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल सौम्य-स्वरूपश्री कृष्ण की कई रूपो के प्रसंग मंे शांति दूत श्रद्धेय देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने कुछ इन्हीं पंक्ति से भागवत की शुरुआत की. गर्दनीबाग के पब्लिक लाइब्रेरी में सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा के पांचवें दिन शुक्रवार को ठाकुर जी ने जीवन चक्र से मुक्ति होना और अच्छी बातों को सीखन का उपदेश दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मानव जीवन की दौड़ का लक्ष्य इश्वर की प्राप्ति होना चाहिए. मनुष्य अपने मानव जीवन में दुखों से जब तक घिरा रहेगा जब तक प्रभु के नाम का स्मरण नहीं कर पायेगा. अगर इस कलयुग में मन को पवित्र और निर्मल कर के भागवत कथा को पूरे मन, क्र म, वचन से सुने तो दुखों पर जरूरत अकुंश लगेगा. ठाकुर जी ने कहा कि मानव वह नहीं जो गलती करके उसे स्वीकार न करे बल्कि सच्चा इंसान तो वह है जो गलती करके उसे स्वीकार करने के साथ-साथ आगे से न दोहराने की शपत लेता हो. क्योंकि भागवत हमें गलत और सही में पहचान करने को सिखाती है. भागवत कथा का श्रवण मात्र ही हमारे जीवन के साथ-साथ हमारी मृत्यु को भी संवार देता है. कन्हैया है साथ तो चिंता काहे की कथा व्यास देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि जो ह्दय से कन्हैया से नाता जोड़ते हैं, उन्हें उनके सिवा कोई दूसरा नहीं दिखायी देता है. वे तो रह पल यही रटते हैं हमारी श्यामा जू सरकार, हमें किस बात की चिंता. जब आपन मन से कान्हा के साथ हो तो चिंता नहीं करे. जरूरी नहीं कन्हैया को भगवान मान कर ही पूजे आप जिस रूप में चाहें उन्हें भजें वे उसी रूप में आप पर कृपा करेंगे. वहीं अत में व्यास पीठ कर सभी श्रद्धालु कथा सुन अपने घर को लौटे.
कन्हैया है साथ तो चिंता काहे की: देवकी नंदन ठाकुर
फोटो हैसंवाददाता, पटना- भेजा प्रभु ने करले भजन तू वरना जोनी में तुझको जाना पडे़गा. – कलाई कोमल-कोमल, श्यामल-श्यामल सौम्य-स्वरूपश्री कृष्ण की कई रूपो के प्रसंग मंे शांति दूत श्रद्धेय देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने कुछ इन्हीं पंक्ति से भागवत की शुरुआत की. गर्दनीबाग के पब्लिक लाइब्रेरी में सात दिवसीय श्री मद् भागवत कथा […]
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