पटना: सिंचाई के महत्वपूर्ण साधन सरकारी नलकूपों की हालत खस्ता है. जिले में उपलब्ध कुल नलकूपों में 66 फीसदी से अधिक खराब हैं. पीएचइडी के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक लगाये गये 602 नलकूपों में 396 किसी- न -किसी कारण से खराब हैं. फिलहाल 206 नलकूप ही चालू अवस्था में हैं.
कई वर्षो से खराब
नलकूपों की यह खस्ता हालत कई वर्षो से है. महीने में दो बार होनेवाली जिला कृषि टास्क फोर्स की बैठक में डीएम संबंधित अधिकारियों को नलकूप चालू कराने का टास्क सौंपते हैं, मगर नतीजा वही ढाक के तीन पात. पिछले सात-आठ वर्षो में कई डीएम बदले, मगर नलकूपों की समस्या नहीं बदली. नलकूप प्रमंडल, पटना पूर्वी के कार्यपालक अभियंता की रिपोर्ट के मुताबिक उनके क्षेत्र में स्थित 228 नलकूपों में 54 ही चालू हैं. सिर्फ यांत्रिक दोष से कोई नलकूप बंद नहीं है.
विद्युत दोष की वजह से 27, जबकि विद्युत-यांत्रिक संयुक्त दोष से 52 नलकूप बंद हैं. क्षेत्र में स्थित 48 नलकूपों को ईंट-पत्थर से भर दिया गया है, जबकि छह के मोटर पंप गिर गये हैं. 23 नलकूपों को अब तक ऊर्जान्वित ही नहीं किया जा सका है. इसी तरह पटना पश्चिमी के कार्यपालक अभियंता की रिपोर्ट के मुताबिक कुल 374 नलकूपों में फिलहाल 154 ही चालू अवस्था में हैं. 208 बंद हैं. इनमें 35 विद्युत दोष, जबकि 47 विद्युत-यांत्रिक संयुक्त दोष से बंद हैं. बंद पड़े नलकूपों में कई ऐसे हैं, जो महज लो वोल्टेज या एक-दो पोल की कमी के चलते बंद हैं.
उदाहरण के तौर पर फुलवारीशरीफ का इशोपुर टोला, संपतचक का वरुणा, खुसरूपुर का मोसिमपुर और फतुहा का पीतांबरपुर नलकूप. ये सभी लो वोल्टेज की वजह से बंद पड़े हैं. इसी तरह संपतचक के जनकपुर, मसौढ़ी के नदौल, धनरूआ के तिल्हार व पुनपुन के लोचना और मरांची नलकूप महज एक-दो पोल या कुछ मीटर तार की वजह से बंद हैं.