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चार साल बाद निगरानी की कार्रवाई,दवा घोटाला मामले में 14 पर केस दर्ज
पटना : गरानी अन्वेषण ब्यूरो ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में हुए दवा-मशीन खरीद घोटाले में संस्थान के तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक डॉ (कैप्टन) एनपी यादव समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इनमें छह आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं. निगरानी के एसपी अजीत कुमार राय को इस केस का जांच अधिकारी नियुक्त किया […]
पटना : गरानी अन्वेषण ब्यूरो ने नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में हुए दवा-मशीन खरीद घोटाले में संस्थान के तत्कालीन अस्पताल अधीक्षक डॉ (कैप्टन) एनपी यादव समेत 14 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. इनमें छह आपूर्तिकर्ता भी शामिल हैं. निगरानी के एसपी अजीत कुमार राय को इस केस का जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है.
यह मामला वर्ष 2008-09 व 2009-10 का है. उस समय एनएमसीएच के लिए बड़े पैमाने पर दवाओं, मशीनों, उपकरणों व रसायनों की खरीद की गयी थी. निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को नवंबर, 2010 में इस मामले की जांच की जिम्मेवारी मिली थी. इस घोटाले की प्रारंभिक जांच में ही करीब 1.60 करोड रुपये की अनियमितता मिली है. निगरानी ब्यूरो के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इसकी निगरानी जांच पहले विभागीय जांच समिति द्वारा की जा चुकी है.
उस जांच की रिपोर्ट में ही स्पष्ट हो गया कि खरीद में भारी पैमाने पर अनियमितता बरती गयी है.सोना ड्रग एजेंसी समेत कई अन्य आपूर्ति करनेवाली एजेंसियों के माध्यम से खरीद की गयी थी और उन्हें निर्धारित मूल्य से कई गुना अधिक का भुगतान किया गया था.
मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अपर निदेशक डॉ डीके रमण की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय विभागीय जांच कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने 11 नवंबर, 2010 को अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी. उस जांच रिपोर्ट में यह स्वीकार किया गया था कि खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गयी है. तब विभागीय जांच कमेटी ने 81 लाख रुपये के घोटाले का अनुमान लगाया था. साथ ही इसकी जांच निगरानी विभाग से कराने की भी अनुशंसा की थी.
जांच में खुलासा हुआ था कि हड्डी विभाग के लिए सी-आर्म इमेज इंटेसिफायर मशीन की खरीद 16.40 लाख रुपये में की गयी, जबकि उसका बाजार मूल्य महज 8.05 लाख था. 500 एमए एक्सरे मशीन की खरीद 25 लाख, 12 हजार 240 रुपये में की गयी, जबकि वह बाजार में महज 10.95 लाख रुपये में उपलब्ध है.
इससे पहले बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) द्वारा दवा खरीद में 14.4 करोड़ के घोटाले में एमडी प्रवीण किशोर समेत 10 लोगों को निलंबित किया जा चुका है. इस मामले में डॉ केके सिंह की अध्यक्षतावाली जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी थी. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के सचिव आनंद किशोर के नेतृत्ववाली पांच सदस्यीय कमेटी ने आगे की जांच की, जिसकी अनुशंसा के आधार पर उक्त 10 अधिकारियों को निलंबित किया गया.
क्या है मामला
वर्ष 2008-09 और 2009-10 के दौरान एनएमसीएच के लिए बड़े पैमाने पर दवाओं, मशीनों व उपकरणों तथा रसायनों की खरीद की गयी थी. 2010 में विभागीय समिति ने इसकी जांच की थी, जिसमें यह पता चला कि कीमत से दोगुनी दर पर दवा-मशीनों की आपूर्ति की गयी. बाद में यह मामले की जांच का जिम्मा निगरानी को सौंप दिया गया.
ये हैं नामजद
डॉ (कैप्टन) एनपी यादव तत्कालीन अधीक्षक, एनएमसीएच
डॉ एके वात्स्यायन, तत्कालीन अध्यक्ष, एनेस्थिसिया विभाग
धनुषधारी प्रसाद सिंह, फार्मासिस्ट
सुधांशु कुमार सिंह, फार्मासिस्ट
एक लेखापाल
एक क्रय लिपिक
छह आपूर्तिकर्ता
दो अन्य
स्वास्थ्य विभाग ने निगरानी ब्यूरो को जांच की जिम्मेवारी सौंपी है. निगरानी की तहकीकात में जो भी दोषी होंगे, सरकार कार्रवाई करेगी.
दीपक कुमार, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग
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