पटना: पटना हाइकोर्ट ने नगर निगम को 21 अक्तूबर को यह बताने को कहा है कि राजधानी के दो बड़े नालों से वह अतिक्रमण कैसे हटायेगा. जलजमाव की समस्या को लेकर सुनील कुमार द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि नौ बड़े नालों की पहचान की गयी है.
इन पर 50 से लेकर 75 प्रतिशत तक अतिक्रमण है. इन अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि सबसे अधिक 90 प्रतिशत अतिक्रमण बाकरगंज नाले पर है. न्यायमूर्ति वीएन सिन्हा व पीके झा के दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष अपर आयुक्त कपिल अशोक व सीताराम चौधरी ने बताया कि इन नालों पर अतिक्रमण के कारण राजधानी में जलजमाव की समस्या बनी हुई है. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यह अतिक्रमण 50 प्रतिशत से लेकर 75 प्रतिशत तक है.
सबसे अधिक अतिक्रमण बाकरगंज स्थित नाले पर है. इस पर हाइकोर्ट ने कहा कि आप इन नालों को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए क्या करेंगे. अगर अतिक्रमण को हटाने में उन्हें किसी तरह के संसाधन की आवश्यकता हो, तो बतायें. कोर्ट ने कहा कि इन नौ नालों में से किसी दो को चुन कर 21 अक्तूबर को बतायें कि वहां से वे कब तक अतिक्रमण हटा देंगे.
इधर मेयर को दी राहत, बची कुरसी
पटना हाइकोर्ट ने मेयर अफजल इमाम को बड़ी राहत दी है. हाइकोर्ट ने उनके खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर हुए मतदान को बिल्कुल सही व नियमानुकूल बताते हुए कहा कि उसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई थी. इसके साथ ही मेयर को पद से हटाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी. हाइकोर्ट के इस फैसले से अब मेयर की कुरसी एक साल तक सुरक्षित हो गयी है. क्योंकि, मेयर के खिलाफ साल में केवल एक बार ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति ज्योति शरण के एकलपीठ ने की. पूर्व मेयर संजय कुमार सिंह, पूर्व डिप्टी मेयर विनय कुमार पप्पू, पार्षद संजीव कुमार सिंह समेत अन्य लोगों ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि जब 72 सदस्यीय नगर निगम में मेयर के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ 37 पार्षदों ने एकजुट होकर मतदान किया था. लेकिन, गड़बड़ी करके उस अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. याचिकार्ताओं का कहना था कि मेयर अल्पमत में हैं. मतदान के दौरान दो सदस्यों के मतों को चुनाव अधिकारी ने अवैध करार दिया था. साथ ही डिप्टी मेयर को भी मतदान नहीं करने दिया गया था. इस पर पटना हाइकोर्ट ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव पर हुआ मतदान बिल्कुल सही और नियमानुकूल था. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पायी है. इस मामले में हाइकोर्ट ने सुनवाई 4 सितंबर को पूरी कर ली थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.