पटना : केंद्र सरकार महात्मा गांधी सेतु की मरम्मत का खर्च उठाने को तैयार हो गयी है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि गांधी सेतु के जीर्णोद्धार पर तीन-चार माह में काम शुरू कर दिया जायेगा. गडकरी ने भरोसा दिलाया है कि बिहार में नेशनल हाइवे के अधूरे प्रोजेक्टों का काम भी जल्द शुरू होगा. इसके लिए टेंडर निकाला जायेगा. श्री गडकरी ने सोमवार को दिल्ली से 10 राज्यों के पत्रकारों से टेली कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत के दौरान ये घोषणाएं कीं.
उन्होंने कहा, नेशनल हाइवे के निर्माण के लिए अब नयी व्यवस्था की गयी है. 80 फीसदी जमीन अधिग्रहण और पर्यावरण क्लीयरेंस के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा. देश में 300 टोलों पर आइसीआइसीआइ बैंक के सहयोग से चिप लगा कर टोल टैक्स की वसूली की जायेगी. इसमें टैक्स चोरी की गुंजाइश नहीं होगी. एनएच के किनारे 50-50 किमी की दूरी पर होटलों का निर्माण कराया जायेगा. साथ ही एनएच की जमीन में ऑप्टिकल फाइबर, 12 केवीए का भूमिगत बिजली तार बिछाने की भी योजना है. इसमें भूमि अधिग्रहण की समस्या नहीं होगी.
* अब कंक्रीट की सड़कों का निर्माण : एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि अब कंक्रीट की सड़कों का निर्माण होगा. इससे वर्षों तक मेंटेनेंस की आवश्यकता नहीं होगी. रोड मेंटेनेंस के लिए भी नयी नीति तैयार की जा रही है. श्री गडकरी ने माना कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा सड़कों के निर्माण की डिजाइनिंग में गलती की गयी है. इन गलतियों का सुधार कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि नया मोटर व्हीकल एक्ट तैयार किया गया है. इसे वेबसाइट पर डाल दिया गया है. इसे इ-गवर्नेंस से जोड़ा जा रहा है.
एक्ट के प्रावधानों के अनुसार, 10 लाख से अधिक आबादीवाले शहरों में सीसीटीवी कैमरे लगाये जायेंगे. इससे परिवहन नियमों की अवहेलना करनेवालों पर नजर रखी जा सकेगी. नये एमवी एक्ट के आने के बाद से इ-रिक्शा चलाने का रास्ता साफ हो गया है. 10 दिनों में इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी. श्री गडकरी ने बताया कि मेरे प्रभार संभालने के बाद देश में 189 प्रोजेक्टें बंद पड़ी थीं. इनमें से 42 प्रोजेक्टों को पूरी तरह से बंद कर दिया गया. कॉंट्रेक्टरों ने सीधे हाथ खड़ा कर दिया. 14 प्रोजेक्टों को 100 दिनों के अंदर चालू करा दिया गया है.
* क्यों आयी खराबी
इसका निर्माण गैमन इंडिया ने कराया था. इसकी तकनीक में ही खामी थी. 1991 में पहली बार मरम्मत की जरूरत महसूस की गयी. भारी वाहनों के बोझ, मेंटेनेंस की कमी व मरम्मत नहीं होने से यह जर्जर होता गया. पुल के कैंटीलीवर आर्म्स के स्टे्रस में कमी होने से सेंट्रल हिंज बियरिंग क्षतिग्रस्त हो गया. इसके बावजूद इसकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया. टुकड़ों-टुकड़ों में मरम्मत कार्य चलता रहा और अब तक इस पर 113 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं. पूरी तरह से क्षतिग्रस्त 44 नंबर पाया सतह से थोड़ा झुक चुका है. इस कारण जुलाई 2011 से एक लेन पर आवागमन बंद था.
* फिलहाल स्थिति
इस साल मई से भारी वाहनों का आवागमन बंद है. पिछले साल सरकार ने एसएन भोरे एंड एसोसिएट्स प्राइवेट लिमिटेड से पुल की मरम्मत की डीपीआर बनवायी थी. इसके आधार पर 44 नंबर पाये को तोड़ कर हटाया जाना है. इसके सुपर स्ट्रक्चर की मरम्मत इस साल जनवरी में शुरू हुआ है. यह कार्य मुंबई की एजेंसी फ्रेसिनेट इंडिया कर रही है. राज्य सरकार ने जापान की कंपनी जाइका (जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेटिव एजेंसी) को जीर्णोद्धार की फिजिबिलिटी स्टडी का जिम्मा सौंपा है. मरम्मत कार्य से अक्सर जाम लगता है.
* ये हैं विकल्प
दीघा-पहलेजा रेल सह सड़क पुल का निर्माण अब तक अधूरा है, क्योंकि रेलवे ने अपने हिस्से की राशि नहीं दी है.
22.76 किमी लंबा पुल पटना के कच्ची दरगाह और वैशाली के बिदुपुर के बीच बननेवाला है. जून, 2012 में सरकार ने इसका फैसला किया था. ताजपुर-बख्तियारपुर के बीच महासेतु बन रहा है.