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6.31 लाख लगे थे पौधे, बचे 1.17 लाख

पटना : राज्य में बेतिया वन प्रमंडल में 2017-18 में पॉप्लर के छह लाख, 31 हजार 827 पौधे लगाये गये, 2019-20 तक इसमें से एक लाख, 17 हजार 520 पौधे जीवित बच पाये. ऐसे में पौधों के बचने की संख्या करीब 18.60 फीसदी ही रही.बचे पौधों की संख्या के आधार पर इसे लगाने वाले किसानों […]

पटना : राज्य में बेतिया वन प्रमंडल में 2017-18 में पॉप्लर के छह लाख, 31 हजार 827 पौधे लगाये गये, 2019-20 तक इसमें से एक लाख, 17 हजार 520 पौधे जीवित बच पाये. ऐसे में पौधों के बचने की संख्या करीब 18.60 फीसदी ही रही.बचे पौधों की संख्या के आधार पर इसे लगाने वाले किसानों को तीन साल की कुल प्रोत्साहन राशि 41 लाख, 14 हजार रुपये देने की स्वीकृति पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग ने दी है. हालांकि, पौधों के जीवित रहने की कम संख्या को देखते हुए विभाग ने निर्णय लिया है कि अब आगे से किसानों को प्रशिक्षण के बाद पौधे दिये जायेंगे, जिससे कि अधिक से अधिक पौधे बच सकें.

किसानों को मुफ्त में मिलता है पौधा : राज्य सरकार कृषि वानिकी योजना के तहत राज्य में किसानों की आय व हरित आवरण बढ़ाने के लिए पॉप्लर पौधे लगाने की योजना पर काम कर रही है. इसके तहत पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग आवेदन करने वाले किसानों को मुफ्त में पौधे उपलब्ध करवाता है.
साथ ही पौधों के विकास के लिए किसानों को तीन साल तक प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. पहले साल प्रत्येक पौधे पर 10, दूसरे साल भी 10 व तीसरे साल 15 रुपये दिये जाते हैं. यह पौधे चार-पांच साल में पेड़ बन जाते हैं. इन पौधों का इस्तेमाल फर्नीचर में होता है.
क्या कहते हैं पर्यावरणविद
पर्यावरणविदों का कहना है कि पौधों को जीवित रहने में कई कारक काम करते हैं. इनमें पौधों के लिए मिट्टी, जलवायु, प्राकृतिक वातावरण और प्रत्येक दिन उसकी देखरेख शामिल है. बेतिया वन प्रमंडल में पॉप्लर के पौधे करीब 18.60 फीसदी ही बच सके हैं. यह चिंता का विषय है. पौधों के बचने की संख्या कम से कम 60 से 70 % होनी चाहिए थी.

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