27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पेंडिंग केसों के तेजी से निबटारे को अब तैयार हुई बिहार पुलिस, मिला टास्क लेकिन ये हैं चुनौतियां

अनुज शर्मापटना : सभी थानों में अनुसंधान और विधि-व्यवस्था विंग अलग-अलग होने के बाद अब बिहार पुलिस ने केसों के तेजी के निबटारे (अनुसंधान) पर फोकस किया है. उसकी कोशिश है कि अब थानों में कोई केस ज्यादा समय पर पेंडिंग नहीं रहे. बिहार पुलिस ने लंबित केसों के निबटारे के लिए अभियान शुरू कर […]

अनुज शर्मा
पटना :
सभी थानों में अनुसंधान और विधि-व्यवस्था विंग अलग-अलग होने के बाद अब बिहार पुलिस ने केसों के तेजी के निबटारे (अनुसंधान) पर फोकस किया है. उसकी कोशिश है कि अब थानों में कोई केस ज्यादा समय पर पेंडिंग नहीं रहे. बिहार पुलिस ने लंबित केसों के निबटारे के लिए अभियान शुरू कर दिया है. करीब डेढ़ लाख पुराने केसों की गठरी का बोझ उतारने के लिए अनुसंधान पदाधिकारी 19 महीने तक दिन-रात जांच करेंगे. डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने सभी रेंज के आइजी व डीआइजी की जिम्मेदारी तय कर दी है.

बिहार पुलिस को हर महीना कम-से-कम आठ हजार पुराने मामलों का निबटारा करना होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधि- व्यवस्था की समीक्षा बैठक में डीजीपी को लंबित केसों का अनुसंधान पूरा कराने का आदेश दिया था. एक अगस्त, 2019 तक लंबित केसों की संख्या 1.48 लाख है. वहीं, हर महीना करीब 25 हजार नये मामले दर्ज हो रहे हैं.

डीजीपी ने प्लान तैयार किया है कि हर जिला कम-से-कम 200 लंबित मामलों का हर महीना अनुसंधान पूरा करे. साथ ही नये मामलों को लंबित न होने दे. सभी रेंज के आइजी-डीआइजी को इसका टास्क सौंपा गया है. थानों में 15 अगस्त से अनुसंधान व विधि-व्यवस्था अलग-अलग होने के बाद पुलिस मुख्यालय ने जिलों से यह रिपोर्ट मांगी है कि उनके यहां अनुसंधान और विधि-व्यवस्था में कितने-कितने पदाधिकारी हैं.

मिला टास्क : 19 महीनों के अंदर 1.48 लाख पेंडिंग केसों का अनुसंधान करना होगा पूरा

लेकिन ये हैं चुनौतियां
हर महीना कम-से-कम आठ हजार पुराने मामलों का करना होगा निबटारा
हर जिले में कम-से-कम 200 लंबित मामलों का अनुसंधान हर महीना पूरा करना होगा
हर महीना 25 हजार नये केस दर्ज होते हैं, इनका भी साथ-साथ निबटारा करना होगा
एक पदाधिकारी को करना होगा हर माह तीन केसों का अनुसंधान
अनुसंधान इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व जमादार के जिम्मे है. पुलिस में इनकी संख्या करीब 20 हजार है. इनमें 15 फीसदी लाइन, विभिन्न इकाइयों व कार्यालयों में तैनात हैं.
एसोसिएशन के रिकाॅर्ड के मुताबिक राज्य में करीब 17 हजार पदाधिकारी थानों में हैं. इनमें अनुसंधान विंग में करीब 12 हजार तैनात हैं. डीजीपी की ओर से तय लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक अनुसंधान पदाधिकारी के हिस्से में करीब 12 पुराने केस हैं.
हर माह दो नये केसों का भी अनुसंधान करना है. बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार का कहना है कि इंस्पेक्टर से लेकर जमादार तक की जिम्मेदारी की समीक्षा करने की जरूरत है. साप्ताहिक अवकाश, काम का बोझ कम होने से ही अनुसंधान में तेजी आयेगी.
अनुसंधान के लिए लंबित केसों के निबटारे के लिए सभी डीआइजी व एसपी की जवाबदेही तय कर दी गयी है. आइजी-डीआइजी जिलावार टारगेट फिक्स करेंगे. एसपी थाना व आइओ वार टारगेट फिक्स करेंगे.
-जितेंद्र कुमार, एडीजी मुख्यालय सह पुलिस प्रवक्ता
डीआइजी लक्ष्य
अनुसंधान का लक्ष्य
केंद्रीय क्षेत्र 400
मगध क्षेत्र 1000
तिरहुत क्षेत्र 800
मिथिला क्षेत्र 600
पूर्णिया 800
आइजी लक्ष्य
बेगूसराय 400
मुंगेर 800
पूर्वी क्षेत्र 600
शाहाबाद 800
चंपारण 600
सारण 600
कोसी 600

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें