पटना : प्रदेश में महिला उत्पीड़न मामलों में त्वरित न्याय होने की नयी उम्मीद जगी है. सूबे के 34 जिलों में दो-दो के अनुपात से कुल 68 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन होगा.
इस कोर्ट के माध्यम से महिलाओं के अलावा बच्चों, नि:शक्त व्यक्तियों, समाज के उपेक्षित समुदाय के लोगों व वरिष्ठ नागरिकों को भी अदालती कार्रवाई में सहूलियत होगी. फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर हाइकोर्ट की सहमति से किया जा रहा है.
इस कड़ी में सिर्फ चार जिलों अरवल, शेखपुरा, किशनगंज व शिवहर में फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन नहीं किया जायेगा. इसका कारण मुकदमों की संख्या का कम होना बताया गया है. इन 68 अदालतों पर होनेवाले व्यय का वहन तत्काल वर्तमान वित्तीय वर्ष 2014-15 में गैर योजना मद के तहत सुबह और शाम के शिफ्ट कोर्ट के निधि से किया जायेगा, जबकि 2015-16 से आगे चालू रखने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जायेगा.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार को 90 फीसदी मामलों में हार का मुंह देखना पड़ता है. यह जानकारी हाल ही में मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह की अध्यक्षता में अधिकार प्राप्त कमेटी की हुई सरकारी मुकदमों की समीक्षा बैठक में सामने आयी.
मुख्य सचिव ने नाखुशी जताते हुए सभी विभागों के प्रधान सचिवों को सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की जांच करने व अच्छे वकील नियुक्त करते हुए ढंग से पैरवी करने का निर्देश दिया.साथ ही मुख्य सचिव ने सभी विभागों में जल्द ही विधि पदाधिकारियों को नियुक्त करने का भी निर्देश दिया.