आठ जुलाई से अब तक मात्र 135 टन ही खरीदा जा सका मक्का
पटना : राज्य में मक्के से अधिक गेहूं के भूसे की कीमत मिल रही है. यानी भूसे का ग्राहक मिल रहा है, पर मक्के का खरीदार नहीं मिल रहा है. इससे राज्य के कम-से-कम 20 जिलों के मक्का उत्पादक किसानों की हालत बिगड़ रही है. किसानों के अनुसार भूसा 850 रुपये क्विंटल की दर से बिक रहा है, तो मक्का आठ सौ रुपये क्विंटल में भी लेनेवाला कोई नहीं है.
उपभोक्ता मामला और खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान के मंत्रालय संभालते ही बिहार के एफसीआइ ने राज्य में मक्के की खरीद की घोषणा की थी. आठ जुलाई की इस घोषणा के बाद अब तक मात्र 135 टन मक्के की खरीद ही एफसीआइ कर सका है.
समस्तीपुर के मक्का उत्पादक व्यवसायी मनोज यादव ने बताया कि गांवों में भूसे का खरीदार मिल रहा है, वह भी 850 से 900 रुपये क्विंटल की दर पर ग्राहक की कमी नहीं है, पर मक्के के लिए आठ सौ रुपये की दर पर भी खरीदार नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार की घोषणा के बाद किसानों को उम्मीद बंधी थी कि उचित दर पर उनका मक्का बिक जायेगा, पर अब तो कोई पूछनेवाला नहीं है. एफसीआइ के अधिकारी मानते हैं कि 11 जिलों में मुश्किल से दो से तीन क्रय केंद्रों पर ही मक्के की खरीद शुरू हो सकी है.
एफसीआइ के प्रभारी महाप्रबंधक अमरेश कुमार ने कहा कि मक्के में नमी के कारण क्रय नहीं हो रहा है. इसमें वे कुछ नहीं कर सकते हैं.
उन्होंने कहा कि इस साल की घोषणा का लाभ बिहार के किसानों को अगले साल से भरपूर मिलेगा. दूसरे राज्यों में कुछ साल पहले खरीद दर में एक प्रतिशत की कमी के साथ मक्के की खरीद करने संबंधी प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि अब वह नियम नहीं रहा.
विदित हो कि राज्य के 11 जिलों में 16 मक्का क्रय केंद्र का संचालन किया जा रहा है. इनमें समस्तीपुर, बेगूसराय (बखरी व बरौनी), खगड़िया, पूर्णिया, मधेपुरा, दरभंगा, भागलपुर (नवगछिया), छपरा, वैशाली (गोरौल), मोतिहारी (फुरसतपुर) और बेतिया में कुल 16 केंद्र का संचालन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि किसानों को 1310 रुपये प्रति क्विंटल की दर से न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान किया जा रहा है.