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पटना : मेडिकल कॉलेजों में 1171 असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति दांव पर
पटना : दो साल से राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 1171 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा रिजल्ट प्रकाशित नहीं करने के कारण उनकी सीनियरिटी दांव पर लगी है. हर दिन उनको वरीयता का नुकसान हो रहा है. 2017 में शुरू हुई असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति […]
पटना : दो साल से राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 1171 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा रिजल्ट प्रकाशित नहीं करने के कारण उनकी सीनियरिटी दांव पर लगी है. हर दिन उनको वरीयता का नुकसान हो रहा है.
2017 में शुरू हुई असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की प्रक्रिया मार्च, 2018 में पूरी कर ली गयी थी. कानूनी अड़चन के कारण असिस्टेंट प्रोफेसर का मामला लटका है. असिस्टेंट प्रोफेसर अभ्यर्थी संघ ने सरकार से नियुक्ति में हस्तक्षेप कर रास्ता निकालने की मांग की है.
उनका कहना है कि मामला अधर में लटकने से उनका सेवाकाल तो कम होगा ही साथ ही फिलहाल वेतनमान का भी नुकसान हो रहा है. कांट्रेक्ट में चार साल सेवा देने के बाद जिस शिक्षक को एसोसिएट प्रोफेसर होना चाहिए, वह अभी एक पद नीचे असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं. बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में नियमित रूप से कनीय पदों को भरने के लिए 2017 में विज्ञापन जारी किया था. संघ के सचिव डाॅ आशीष झा ने कहा कि मार्च, 2018 से रिजल्ट तैयार है.
अगर इसका प्रकाशन नहीं हो रहा है तो इसके लिए अभ्यर्थी कहां से जिम्मेदार है. विज्ञापन में किसी तरह की गड़बड़ी है तो इसके जिम्मेदार व्यक्ति को चिह्नित किया जाना चाहिए. 1171 असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति के विज्ञापन में त्रुटि के लिए अभ्यर्थियों को सजा दी जा रही है. सरकार नया मेडिकल कॉलेज खोलने जा रही है. नयी नियुक्ति नहीं होने से पुराने मेडिकल कॉलेज को भी कंट्रेक्ट के शिक्षकों से चला रहा है.
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