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‘बाहरी’ दवा ने बिगाड़ी सेहत

कमीशन के खेल में डॉक्टर लिख रहे बाहर की महंगी दवाएं आनंद तिवारी पटना : लाख कोशिशों के बावजूद पीएमसीएच की हालत सुधर नहीं रही है. वहां के डॉक्टर मरीजों की जेब खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आलम यह है कि मरीजों को अधिकतर दवा बाहर से ही लिखी जा रही […]

कमीशन के खेल में डॉक्टर लिख रहे बाहर की महंगी दवाएं

आनंद तिवारी

पटना : लाख कोशिशों के बावजूद पीएमसीएच की हालत सुधर नहीं रही है. वहां के डॉक्टर मरीजों की जेब खाली करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आलम यह है कि मरीजों को अधिकतर दवा बाहर से ही लिखी जा रही है. इससे गरीब मरीज अपना इलाज नहीं करा पा रहे हैं. प्रभात खबर टीम ने जब पीएमसीएच के राजेंद्र नगर सजिर्कल ब्लॉक की पड़ताल की तो सच्चई सामने आयी.

वार्ड में भरती अधिकतर मरीजों को डॉक्टर बाहर की महंगी दवाएं लिख रहे हैं. इससे कई ऐसे मरीज हैं जिनकी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है. इतना ही नहीं इंजेक्शन लगाने के नाम पर यहां रुपये की वसूली की जा रही है. डॉक्टरों की अनदेखी के शिकार हुए मरीजों ने प्रभात खबर से अपनी समस्या बतायी.

कमीशन पर चल रहा धंधा : पीएमसीएच में कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो मरीजों को बाहर से जांच और दवा खरीदने को मजबूर कर रहे हैं. बड़ी बात तो यह है कि जब डॉक्टर अपने मरीजों को देखने आते हैं तो उनके साथ बाहर के कुछ लोग रहते हैं. अस्पताल सूत्रों की माने तो प्राइवेट दवा क्लिनिक के कर्मचारी डॉक्टरों के साथ राउंड लगाते रहते हैं. डॉक्टर भी मरीज को दवा उन्हीं क्लिनिक से लिखते हैं, जिनसे उनको मोटी कमीशन मिलती हो.

नियमों की उड़ रहीं धज्जियां : फ्री में इलाज कराने के सारे दावे पीएमसीएच में खोखला साबित होते जा रहे हैं. मेडिकल स्टोर की मिलीभगत से अधिकतर डॉक्टर मरीजों को बाहर से दवा लिख रहे हैं.

बड़ी बात तो यह है कि अस्पताल अधीक्षक की ओर से अभी हाल ही में मरीजों के दवा सूची डॉक्टर का नियम बना गया है. मरीजों को बाहर से दवा नहीं लाने के लिए बनाये गये इस नियम को वहां के डॉक्टर तोड़ रहे हैं.

स्ट्रेचर व इंजेक्शन के नाम पर रुपये : अस्पताल में इंजेक्शन लगाने के नाम पर कर्मचारी मरीजों से रुपये वसूलने में बाज नहीं आ रहे हैं. इसके अलावा स्ट्रेचर देने पर भी रुपये की मांग की जा रही है. इंजेक्शन और स्ट्रेचर पर खुलेआम 10-20 रुपये लिए जा रहे हैं. बावजूद अस्पताल प्रशासन कोई कार्रवाई करने का जहमत नहीं उठा रहा है.मरीजों का कहना है कि अगर संबंधित कर्मचारी को रुपये नहीं दिये जाये तो सुविधाओं से महरूम होना पड़ता है.

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