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फुलवारीशरीफ : मानव जीनोम संपादन स्वास्थ्य का है विषय
फुलवारीशरीफ एम्स में हुआ कार्यक्रम, डॉक्टरों ने रखी अपनी बात फुलवारीशरीफ : एम्स के निदेशक डाॅ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि मानव जीनोम संपादन एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का विषय है. आम जनता को इसके जोखिमों और इसके कारण उठने वाले संभावित कानूनी मुद्दों से अवगत कराया जाना चाहिए. एटानाॅमी विभाग की ओर से मंगलवार […]
फुलवारीशरीफ एम्स में हुआ कार्यक्रम, डॉक्टरों ने रखी अपनी बात
फुलवारीशरीफ : एम्स के निदेशक डाॅ प्रभात कुमार सिंह ने कहा कि मानव जीनोम संपादन एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का विषय है. आम जनता को इसके जोखिमों और इसके कारण उठने वाले संभावित कानूनी मुद्दों से अवगत कराया जाना चाहिए.
एटानाॅमी विभाग की ओर से मंगलवार को मानव जीनोम संपादन के वादों, जोखिमों और नैतिक समस्याओं के विषय पर उद्घाटन करते हुआ कहा कि इस मुद्दे पर किसी भी नीतिगत निर्णय का हिस्सा बनाया जाना चाहिए. मानव जीनोम संपादन के वादों और जोखिमों पर आम लोगों को शिक्षित करना हमारे लिये जिम्मेदारी होगी. इस संबंध में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. एम्स, पटना के एनाटॉमी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ आशुतोष कुमार ने कहा कि चीन में आनुवंशिक रूप से संपादित आइवीएफ शिशुओं के जन्म की हालिया घटना के बाद यह मुद्दा उठाया गया था.
जहां नैतिक चिंताओं को नजरअंदाज किया गया था. एक सफल जीन संपादन तकनीक के रूप में उभरा है, जिसका उपयोग कई मानव रोगों को खत्म करने के लिए किया जा सकता है.
आइवी द्वारा जीनोम संपादन पर मेडिकल छात्रों को शिक्षित करना इस संगोष्ठी के आयोजन का एक उद्देश्य था. अंत में एक पैनल चर्चा आयोजित की गयी. मौके पर मेडिकल स्टूडेंट्स भी मौजूद रहे.
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