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पटना : डोर-टू-डोर मॉनीटरिंग फेल, नहीं रुक रही अनाज की कालाबाजारी
मुनाफाखोरों ने निकाली नयी तरकीब, आपूर्ति शृंखला केंद्र भी रोकने में असफल पटना : राशन दुकानों में पहुंचने वाले अनाज की अफसरों की मिलीभगत से हेराफेरी अब भी जारी है. खाद्य आपूर्ति विभाग ने कालाबाजारी रोकने के लिए जीपीएस सिस्टम लागू किया था. लेकिन, कालाबाजारियों ने इससे अलग तरकीब खोज ली है. जीपीएस लगी गाड़ियां […]
मुनाफाखोरों ने निकाली नयी तरकीब, आपूर्ति शृंखला केंद्र भी रोकने में असफल
पटना : राशन दुकानों में पहुंचने वाले अनाज की अफसरों की मिलीभगत से हेराफेरी अब भी जारी है. खाद्य आपूर्ति विभाग ने कालाबाजारी रोकने के लिए जीपीएस सिस्टम लागू किया था. लेकिन, कालाबाजारियों ने इससे अलग तरकीब खोज ली है.
जीपीएस लगी गाड़ियां अनाज गोदाम तक तो पहुंचती हैं, लेकिन वहां से जरूरतमंदों तक पहुंचने की बजाय कालाबाजार में पहुंचा दी जा रहीं. ऐसा अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है.
राशन दुकानों में अनाज का वितरण डोर स्टेप डिलिवरी के माध्यम से होता है. इसमें बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम से परिवहन एजेंटों को अनाज उठाकर जीपीएस वाहनों से अनाज राशन दुकानों में पहुंचाना है.
इस तरह की शिकायत मिलने पर जब छापेमारी हुई तो लगभग 3700 क्विंटल गेंहू व लगभग 8500 क्विंटल चावल जब्त किये गये. 28 हजार लीटर केराेसिन की बरामदगी हुई है.
760 छापेमारी में 254 लोगों पर प्राथमिकी दर्ज के साथ लगभग सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया. इतना ही नहीं अनाज उठाव में गड़बड़ी करने वाले 13 परिवहन एजेंटों पर पिछले साल प्राथमिकी दर्ज कर 11 करोड़ जुर्माना वसूल किया गया था. इस साल अब तक लगभग 14 एजेंट पर कार्रवाई हो चुकी है.
कागज पर हो रही माॅनीटरिंगजानकारों के अनुसार अधिकारियों कीमिलीभगत से जीपीएस लगे वाहनों से गोदाम से अनाज उठाव कर गांव तक पहुंचाने को कागजात पर दिखादिया जाता है. जबकि, अनाज को बाजार में पहुंचा दिया जाता है.
इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने खाद्य आपूर्ति निगम के गोदाम से अनाज के उठाव से लेकर राशन दुकानों तक पहुंचने व लाभुकों के अनाज वितरण होने की मॉनीटरिंग कराने का निर्णय लिया. इसके लिए सभी जिले में आपूर्ति शृंखला केंद्र खोले गये.
सिस्टम के सेटअप की व्यवस्था नहीं
एफसीआइ व एसएफसी गोदाम से खाद्यान्न के उठाव से लेकर राशन दुकानों तक पहुंचने व फिर उपभोक्ताओं के वितरण तक पूरा लेखा-जोखा रखने के लिए जिला आपूर्ति शृंखला प्रबंधन केंद्र बनाये गये.
इससे किस दुकान को कितना राशन मिला और कितने उपभोक्ताओं के बीच खाद्यान्न वितरण हुआ इसका हिसाब एक क्लिक में मिल जाना है. केंद्र को अपना भवन नहीं होने से सिस्टम के सेटअप के लिए व्यवस्था नहीं होने से सही तरीके से मॉनीटरिंग नहीं हो रही है. जिला स्तर पर वरीय पदाधिकारियों के निरंतर समन्वय स्थापित प्रबंधन केंद्र से होना है.
मिली हैं शिकायतें
राशन दुकानों के निरीक्षण के दौरान उपभोक्ताओं ने अनाज कम मिलने, कीमत अधिक लिये जाने, समय पर अनाज नहीं मिलने आदि की शिकायतें की थीं. इन शिकायतों को लेकर गया, मधुबनी, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, बक्सर, आरा, रोहतास, कैमूर, नवादा, समस्तीपुर सहित अन्य जिले में निरीक्षण किया गया.
प्रबंधन केंद्र के लिए बनेंगे भवन
मॉनीटरिंग के लिए प्रबंधन केंद्र पूरी तरह से हाइटेक होगा. इसके लिए सभी जिले में अपना भवन बनना है. भवन बनाने पर 43़ 72 करोड़ खर्च होंगे.
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