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पटना : रेरा से छूट के बाद भी फंसी हैं 2017 से पहले के निर्माणों की रजिस्ट्रियां

चार हजार से अधिक लोग पैसा देने के बाद भी नहीं करा पा रहे रजिस्ट्री पटना : शहर के बिल्डरों के साथ फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को रेरा और निबंधन विभाग के पेच से मुक्ति नहीं मिल रही है.अब इसमें नया मामला यह आया है कि भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) से एक मई 2017 से […]

चार हजार से अधिक लोग पैसा देने के बाद भी नहीं करा पा रहे रजिस्ट्री
पटना : शहर के बिल्डरों के साथ फ्लैट खरीदने वाले ग्राहकों को रेरा और निबंधन विभाग के पेच से मुक्ति नहीं मिल रही है.अब इसमें नया मामला यह आया है कि भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) से एक मई 2017 से पूर्व के निर्माणों में बगैर रेरा के निबंधन ही फ्लैटों की रजिस्ट्री कराने की छूट देने के बाद भी अब तक निबंधन विभाग की ओर से अभी ऐसे निर्माणों की रजिस्ट्री कराने की स्वीकृति नहीं दी गयी है. सिर्फ पटना जिले में चार हजार से अधिक मामलों पर रजिस्ट्री नहीं होने के कारण ग्राहकों को अपना फ्लैट लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
दरअसल मामला यह है कि रेरा ने बिल्डर एसोसिएशन के सुझाव के आधार पर निबंधन विभाग को बीते 26 अक्टूबर को लिखा था कि वैसे निर्माण जिनका एक मई 2017 से पहले कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त है.
उनको रेरा से निबंधन कराने की जरूरत नहीं है, लेकिन निबंधन विभाग ने रेरा के सुझाव पर अब तक निबंधन कार्यालय को निर्देश नहीं दिया है. इस कारण से ग्राहकों से अपने फ्लैट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.
50 फीसदी मामलों में फंस रहा है इस तरह का पेच : जिले में बीते एक वर्ष में रियल स्टेट कारोबार में गिरावट आयी है. इसमें कभी मैट्रोपॉलिटन सिटी, रेरा तो कभी बालू की उपलब्धता नहीं होने के अलावा कई कारण रहे हैं. बिल्डर एसोसिएशन के बिहार चैप्टर के पूर्व अध्यक्ष मणिकांत ठाकुर बताते हैं कि मई 2017 से पूर्व पूरे हुए अपार्टमेंटों की संख्या अधिक है.
इसमें अधिकांश अपार्टमेंट में बिल्डर की ओर से समापन प्रमाणपत्र लिया जा चुका है. दर्जनों अपार्टमेंट के कई फ्लैटों की रजिस्ट्री हो चुकी है. लोग उसमें रह रहे हैं, लेकिन नये नियम के बाद वैसे पुराने अपार्टमेंटों में, जिनमें कई फ्लैट अब भी खाली हैं, उनकी रजिस्ट्री पर रोक लग गयी है. जानकारी के अनुसार केवल पटना जिले में तीन हजार से अधिक फ्लैट हैं.
घटी है फ्लैटों की रजिस्ट्री
इस वर्ष अक्टूबर माह में मात्र 75 फ्लैटों का निबंधन कराया गया है. इसमें रजिस्ट्री के अलावा एग्रीमेंट कराने का भी मामला है. बीते वर्ष अक्टूबर माह में इससे तीन गुना अधिक लगभग 185 फ्लैटों की रजिस्ट्री करायी गयी थी.
यानी बीते वर्ष जहां छह करोड़ आठ लाख का निबंधन शुल्क वसूला गया था, वहीं इस वर्ष अक्टूबर में मात्र दो करोड़ 36 लाख रुपये का निबंधन शुल्क वसूल किया गया है. इसी वर्ष जब तक रेरा का पेच नहीं लगा था, तब तक एक जुलाई से 31 अगस्त तक 652 फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई थी, इसमें 21 करोड़ आठ लाख का निबंधन शुल्क वसूला गया था वहीं एक सितंबर से 30 अक्टूबर तक 136 फ्लैटों की रजिस्ट्री करायी गयी थी.
चार करोड़ 18 लाख रुपये वसूला गया था. जानकारी के अनुसार रजिस्ट्री विभाग से 30 अगस्त को जिला निबंधन कार्यालय में लिखित आदेश आया था कि सितंबर से बगैर रेरा के निबंधन कराये फ्लैटों व बड़े जमीनी प्लॉटों की रजिस्ट्री नहीं की जाये, इसके बाद से ही गिरावट आयी है.

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